टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो सांस के जरिए ड्रॉपलेट इंफेक्शन से फैलती है. यह फेफड़ों से लेकर ब्रेन और त्वचा तक किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है. कमजोर इम्यूनिटी और डायबिटीज वाले लोग अधिक जोखिम में हैं.
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ब्रेन तक पहुंच सकती है टीबी
जब टीबी के बैक्टीरिया रोगी के दिमाग में पहुंच जाते हैं ऐसी दशा में उसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम टीबी कहा जाता है. भारत में पिछले कुल सालों में ब्रेन टीबी के मरीजों की संख्या में 4 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है.
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टीबी के लक्षण
नियमित दवा और देखभाल से टीबी ठीक हो सकती है. लक्षणों में 2-3 सप्ताह तक खांसी, बुखार, रात में पसीना, वजन कम होना और थकान शामिल हैं. तुरंत जांच जरूरी है.
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ब्रेन में टीबी का खतरा
टीबी के बैक्टीरिया ब्रेन में गांठ बना सकते हैं, जिससे सूजन या पैरालिसिस हो सकता है. फेफड़ों की टीबी का समय पर इलाज न हो तो यह ब्रेन तक पहुंच सकती है.
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टीबी का जोखिम किसे?
डायबिटीज, कमजोर इम्यूनिटी (जैसे एचआईवी), कुपोषण, तंबाकू और शराब का अत्यधिक सेवन टीबी का जोखिम बढ़ाते हैं. अस्वास्थ्यकर जीवनशैली भी खतरे को बढ़ाती है.
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अधूरा इलाज है खतरनाक
अधूरा इलाज टीबी को और खतरनाक बना सकता है. नियमित दवाएं और डॉक्टर की सलाह से टीबी पूरी तरह ठीक हो सकती है. लक्षण खत्म होने पर भी दवा जारी रखें.