दुनिया की सबसे खतरनाक खुफिया एजेंसी मोसाद, कैसे चुने जाते हैं एजेंट्स?


India Daily Live
2024/10/04 11:45:17 IST

इजरायल

    लगभग बीते एक साल से इजरायल अपने दुश्मन देशों से लड़ रहा है. इसी के चलते कुछ समय पहले हमास चीफ इस्माइल हनिया की एक हमले में मौत हो गई है.

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मोसाद

    ईरान ने इस हमले पर इजरायल को जिम्मेदार माना है. ऐसे में एक बार फिर से इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद की चर्चा होने लगी है.

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खतरनाक एजेंसी

    इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद दुनियाभर में आतंकवाद के खिलाफ दीवार के रूप में जानी जाती है. मोसाद को खतरनाक एजेंसियों में गिना जाता है.

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स्थापना

    13 दिसंबर 1949 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड बेन गूरियन की पहल पर मोसाद की स्थापना हुई थी. मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है.

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कैसे होती है भर्ती

    इस एजेंसी का लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना और देश की सुरक्षा करना है. मोसाद की तरफ भर्ती निकाली जाती है. जिसमें कैंडिडेट को कई टेस्ट और इंटरव्यू से गुजरना पड़ता है.  

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ट्रेनिंग

    इसके साथ उनके कैंडिडेट्स की जांच-पड़ताल होती है. इसमें उन्हें अलग-अलग तकनीकों, फील्ड ऑपरेशंस, इंटेलिजेंस गैदरिंग और आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दी जाती है.

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काउंटर-टेररिज्म यूनिट

    मोसाद के पास दो प्रमुख काउंटर-टेररिज्म यूनिट. इनका नाम मेटसाडा और किडोन शामिल हैं.

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किडोन

    आमतौर पर मेटसाडा सीधे हमला करती हैं. वहीं, किडोन के सभी काम सीक्रेट रखें जाते हैं. मोसाद का अपने इस तरह से करते हैं कि इनके कोई सबूत नहीं मिलते हैं.

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मिशन

    मोसाद ने कई मिशनों में शामिल हैं जैसे की इथियोपियाई यहूदियों को इस्राइल लाने के लिए 'ऑपरेशन मूसा' शामिल है.

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