इजराइल पर हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को हमला किया. 1200 लोग मरे. बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा को तबाह कर दिया.
समूहिक कब्रें पूछ रही हैं इंसानियत से सवाल
इजराइल के हमले में हजारों लोग मारे गए हैं. कब्रगाहों में हर तरफ लाशें ही लाशें हैं, उनका अंतिम संस्कार चुनौती है. सवाल इंसानियत से है कि यह कैसे हुआ?
इजराइल से पंगा बहुत भारी पड़ा है
इजराइल जैसे ताकतवर देश से लड़कर हमास ने फिलिस्तीन को दशकों पीछे धकेल दिया है.
22 और फिलिस्तीनियों की हुई मौत
फिलिस्तीन के 22 नागरिक इजराइली हमले में मारे गए थे. उनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.
मिस्र में इजराइल से बात करेगा हमास
हमास के लड़ाके, मिस्र गए हैं. वे इजराइल के साथ सीज फायर को लेकर बातचीत करना चाहते हैं. इजराइल जरा भी अपने तेवर नर्म नहीं करने वाला है.
200 दिनों की जंग, 34,000 लोग की मौत
इजराइल-हमास की जंग में 34,000 लोग मारे गए हैं. इजराइली हमलों ने गाजा को कब्रिस्तान बना दिया है.
77,000 से ज्यादा लोग हो चुके हैं घायल, कचरे की तरह मिलीं लाशें
अलजजीरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक इजराइली हमलों में 77,000 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं. कचरे की तरह कब्रगाहों में लाशें दिखती हैं.
राफाह में एक ही परिवार के 9 लोग मरे
रफाह में हुए हमले में एक ही परिवार के 9 लोग मारे गए हैं.
इजराइल से डर रहा अमेरिका!
दुनियाभर में मानवाधिकारों की दुहाई देने वाला अमेरिका, अपने यहां लोगों का दमन कर रहा है. 18 अप्रैल से अब तक गाजा के 900 लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.
गाजा के हक में अमेरिका में उठ रहीं आवाजें
गाजा के पक्ष में लोग अमेरिका में भी हक की आवाजें उठा रहे हैं. वहां भी पुलिस सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
अमेरिका में भी हो रहा प्रदर्शनकारियों का दमन
अमेरिका में सैकड़ों गिरफ्तारियां हुई हैं. लोगों को आवाज उठाने पर हिरासत में लिया जा रहा है.
क्यों खामोश देख रही है दुनिया?
इजराइल के खिलाफ इस्लामिक देशों को छोड़कर कोई बोलना नहीं रहा है. वजह है कि इजराइल किसी को भी तबाह करने में सक्षम है. मोसाद से दुनिया डरती है.
क्यों हमास के सनक की सजा भुगत रहे फिलिस्तीनी?
हमास ने 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर सैकड़ों मिसाइलें दागी थीं. 1200 लोग मारे गए थे. इजराइली सेना ने ऐसे बदला लिया कि फिलिस्तीन की रूढ़ टूट गई.
ऐसे विरोध प्रदर्शनों से होगा क्या?
अमेरिका में गाजा के लिए विरोध प्रदर्शन हो रहा है. पर ऐसे विरोध प्रदर्शनों से क्या हासिल होगा. इजराइल न संयुक्त राष्ट्र की सुन रहा है, न ही अमेरिका की.