भारतीय सेना की पैराशूट रेजिमेंट की स्पेशल फोर्स यूनिट है.
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पैरा कमांडो की शुरुआत कब हुई थी?
पैराशूट रेजीमेंट की शुरुआत 1 जुलाई 1966 में हुई थी. पैरा कमांडो हमारे देश की रक्षा के लिए जी जान लगा देते हैं.
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कैसे होता है पैरा कमांडो का चयन?
पैरा कमांडो की चयन प्रक्रिया डायरेक्ट रिक्रूटमेंट और इंडियन आर्मी के जरिये होती है. आवेदकों में से सिर्फ 2 से 5 फीसदी लोग ही इस स्पेशल फोर्स को ज्वाइन कर पाते हैं.
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कैसी होती है ट्रेनिंग?
पैरा कमांडो की ट्रेनिंग बहुत टफ होती है.एक पैरा कमांडो को 33 हजार फुट की ऊंचाई से कम से कम 50 जंप लगानी पड़ती है.
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20 किलोमीटर की दौड़
ट्रेनिंग के दौरान रोजाना 60 से 65 किलो वजन और 20 किलोमीटर की दौड़ लगानी होती है.
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कहां होती है पैरा कमांडो की ट्रेनिंग?
इनकी ट्रेनिंग बैंगलोर में करवाई जाती है.
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कौन कर सकता है आवेदन?
इंडियन आर्मी में शामिल जो जवान पैरा रेजिमेंट में जाना चाहते हैं, उन्हें वालंटियर बनकर आवेदन करना पड़ता है.
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पैरा कमांडो की सैलरी?
पैरा कमांडो में भर्ती होने के बाद सेना की रैंक के अनुसार उन्हें सैलरी मिलती है.
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सुविधा:
पैरा कमांडो को रहने के लिए सरकारी क्वॉर्टर/बैरक और कैंटीन की सुविधाएं मिलती हैं.
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पैरा स्पेशल फोर्स
आर्मी हॉस्पिटल में खुद के और परिवार के फ्री इलाज की भी सुविधा मिलती है.