उत्तराखंड के लोहाघाट की होली के अंग्रेजों से लेकर राजा क्यों थे दीवाने?
Babli Rautela
2025/03/07 14:25:17 IST
लोहाघाट की खड़ी होली
उत्तराखंड के चंपावत जिले के लोहाघाट की खड़ी होली का इतिहास बेहद रोचक और गौरवशाली रहा है.
Credit: Jayamitra Singh Bishtअंग्रेज करते थे इंतजार
आजादी से पहले एबट माउंट में रहने वाले अंग्रेज भी इस अनोखी होली का बेसब्री से इंतजार करते थे.
Credit: Jayamitra Singh Bishtगोल घेरा बनाकर मनाते हैं खड़ी होली
ढोल-मजीरों की थाप पर गोल घेरा बनाकर खड़ी होली गाने की यह परंपरा 15वीं शताब्दी में चंद राजाओं के शासनकाल से चली आ रही है.
Credit: Jayamitra Singh Bishtअंग्रेज महिलाएं भी होती थीं शामिल
कहा जाता है कि एबट माउंट में अंग्रेजी हुकूमत की बसासत हुआ करती थी, जहां अंग्रेज महिलाएं भी सफेद पोशाक में इस होली में शामिल होती थीं.
Credit: Jayamitra Singh Bishtथाप पर थिरकती थीं अंग्रेज महिलाएं
दिलचस्प बात यह है कि अंग्रेज महिलाएं इस खड़ी होली का अर्थ भले ही न समझती हों, लेकिन फिर भी वे इसकी थाप पर थिरकने और उत्सव का हिस्सा बनने से खुद को रोक नहीं पाती थीं.
Credit: Jayamitra Singh Bishtसांस्कृतिक विरासत
लोहाघाट में बीते 11 सालों से लगातार होली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिससे यह सांस्कृतिक विरासत और अधिक समृद्ध हो रही है और लोगों की भागीदारी भी बढ़ रही है.
Credit: Jayamitra Singh Bishtढोल और दमाऊ
लोहाघाट की होली में महिलाएं और पुरुष अलग अलग गोला बनाकर ढोल और दमाऊ की धुन पर ताल मिलाते हैं.
Credit: Jayamitra Singh Bishtपारंपरिक गीत
इस दौरान पहाड़ों के कुछ पारंपरिक गीत लय में गाए जाते हैं और चारों ओर उत्साह और खुशी का माहौल छा जाता है
Credit: Jayamitra Singh Bishtबड़े बुजुर्गों से जवान
बड़े बुजुर्गों से जवान तक, हर कोई लोहाघाट की होली का भरपूर आनंद लेता है.
Credit: Jayamitra Singh Bisht