कैलाश मानसरोवर यात्रा का इंतजार कर रहे लोगों के लिए खुशखबरी है. 2019 से बंद इस यात्रा की वापसी हो रही है और इस बार सब कुछ पहले से बहुत आसान और तेज होने वाला है.
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प्रशासन ने शुरू की तैयारी
चीन की मंजूरी के बाद भारत सरकार और उत्तराखंड प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. पहला बैच जून के पहले हफ्ते में रवाना हो सकता है.
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नया रूट
पहले यात्री हल्द्वानी से यात्रा शुरू करते थे, अब दिल्ली से सीधा टनकपुर जाएंगे (330 किमी). फिर धारचूला, गुंजी और लिपुलेख से कैलाश जाएंगे.
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सिर्फ 10 दिन में पूरी यात्रा
पहले पूरा ट्रिप 24 दिन में होता था. अब गाड़ियों और टू-लेन रोड की सुविधा से यह यात्रा सिर्फ 10 दिन में पूरी हो पाएगी. चौथे या 5वें दिन यात्री कैलाश क्षेत्र में पहुंच जाएंगे.
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नहीं करना होगा लंबा सफर
2019 तक गुंजी से लिपुलेख तक 95 किमी का ट्रैक करना पड़ता था, अब गाड़ियों और बसों से यह सफर आसानी से तय होगा.
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ठहरने की सुविधा
बुड़ी, गुंजी, नाभीढांग और लिपुलेख में कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) द्वारा संचालित होमस्टे में रुकने की व्यवस्था रहेगी.
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खर्चा कितना होगा?
2019 में यात्रा खर्च लगभग 2.5 लाख रुपये प्रति व्यक्ति था. नेपाल रूट से यात्रा करने पर करीब 1.84 लाख रुपये + 24,000 रुपये (पोर्टर चार्ज) लगता है. चीन का वीजा फीस और अन्य फीस अब भी तय नहीं हुई है.
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जरूरी दस्तावेज
वैध पासपोर्ट, 100 रुपये स्टाम्प पेपर पर यात्रा नियमों का शपथ पत्र, आपातकाल में वापसी और मृत्यु होने पर दाह संस्कार की पूर्व अनुमति और वीजा फीस और अन्य खर्च के लिए डॉलर में नकद राशि साथ रखें.
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कैलाश यात्रा के 3 प्रमुख रूट
नाथूला दर्रा (सिक्किम) सबसे लंबा रूट (802 किमी), लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) कैलाश से सिर्फ 65 किमी दूर और नेपाल रूट (काठमांडू से) लगभग 400 किमी