उत्तराखंड: भिटौली त्योहार का विवाहित महिलाएं-बेटियों से क्या है खास रिश्ता?


Babli Rautela
2025/03/17 13:45:30 IST

बहिन-बेटियों को दी जाती है भिटौली

    कुमाऊं में चैत्र माह के दौरान बहिन-बेटियों को भिटौली देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

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उपहार और मिठाइयां

    यह परंपरा आज भी नए कलेवर के साथ कायम है, जिसमें भाई अपनी बहन के लिए खास उपहार और मिठाइयां लेकर जाता है.

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प्यार का मौसम

    वसंत ऋतु को आमतौर पर प्यार का मौसम कहा जाता है, लेकिन पहाड़ों में इसे विरह का समय माना जाता है.

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'काला महीना'

    चैत्र माह को पहाड़ों में 'काला महीना' कहा जाता है, जब नवविवाहिताएं ससुराल से मायके चली जाती हैं. इस महीने नवविवाहिता को पति का चेहरा नहीं देखना चाहिए.

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मायके का प्यार

    भिटौली में बहन के लिए सिगल पुए, खजूरे, सै (साइ), सकरपारे, पुड़ी, फल, कपड़े और रुपये शामिल होते हैं. यह सब लड़की की मां तैयार करती है, जिससे बेटी को मायके का प्यार महसूस हो.

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चैत्र में दी जाती है भिटौली

    भिटौली आमतौर पर चैत्र में दी जाती है, लेकिन नवविवाहिताओं को बैसाख में यह दी जाती है.

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पहाड़ों में गूंजती है 'घुघुती'

    कहा जाता है कि एक बहन भाई के आने के इंतजार में सो गई और जब जागी तो भाई जा चुका था. दुख से उसने अपने प्राण त्याग दिए और उसकी आत्मा 'घुघुती' पक्षी बन गई, जिसकी आवाज आज भी पहाड़ों में गूंजती है.

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ऑनलाइन ट्रांसफर

    पहले भाई खुद जाकर भिटौली देता था, लेकिन अब ऑनलाइन ट्रांसफर के माध्यम से यह परंपरा जारी है. कुछ जगहों पर अब भी मिठाइयों और महंगे उपहारों के साथ भिटौली दी जाती है.

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भिटौली की परंपरा

    भिटौली केवल उपहार देने की परंपरा नहीं, बल्कि बहन को सम्मान देने और स्नेह जताने का माध्यम है.

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