क्या होता है कलर ब्लाइंडनेस? जानें इसके लक्षण और कारण


Ritu Sharma
2025/03/02 11:55:14 IST

क्या है कलर ब्लाइंडनेस?

    कलर ब्लाइंडनेस एक दृष्टि संबंधी समस्या है जिसमें व्यक्ति को कुछ रंगों को पहचानने में परेशानी होती है. खासतौर पर लाल और हरे रंग में अंतर करने में दिक्कत होती है. यह समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है और कुछ मामलों में अन्य कारणों से भी हो सकती है.

Credit: SOCIAL MEDIA

क्यों होती है कलर ब्लाइंडनेस?

    कलर ब्लाइंडनेस तब होती है जब आंखों के फोटोरिसेप्टर सेल्स (कोन सेल्स) ठीक से काम नहीं करते. ये सेल्स रेटिना में मौजूद होते हैं और अलग-अलग रंगों की पहचान करने में मदद करते हैं. अगर इनमें कोई दोष हो तो व्यक्ति को रंगों में भेद करने में कठिनाई होती है.

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कलर ब्लाइंडनेस के मुख्य लक्षण

    लाल और हरे रंग में अंतर करने में परेशानी होती है. एक ही रंग के अलग-अलग शेड्स की पहचान करना मुश्किल होता है. रंगीन अक्षरों को पढ़ने और रंगीन पेपर को पहचानने में दिक्कत आती है. ज्यादा रोशनी या चमकदार बल्ब देखने पर आंखों में परेशानी होती है.

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कलर ब्लाइंडनेस कितने प्रकार की होती है?

    कलर ब्लाइंडनेस के कई प्रकार हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्न शामिल हैं:- प्रोटानोपिया: लाल रंग देखने में परेशानी होती है. ड्यूटेरानोपिया: हरे रंग की पहचान करने में दिक्कत होती है. ट्रिटानोपिया: नीले और पीले रंगों में भेद करना मुश्किल होता है. कुल कलर ब्लाइंडनेस (Achromatopsia): जब व्यक्ति किसी भी रंग को नहीं देख पाता.

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कलर ब्लाइंडनेस के कारण

    आनुवंशिकता: अगर परिवार में किसी को यह समस्या है तो यह आगे भी हो सकती है. आंखों में चोट: किसी भी गंभीर चोट के कारण भी कलर ब्लाइंडनेस हो सकता है. दवाईयों का प्रभाव: कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट के कारण भी यह समस्या हो सकती है. उम्र बढ़ने के साथ: उम्र बढ़ने पर रेटिना कमजोर हो सकती है, जिससे रंगों की पहचान करने में दिक्कत होती है.

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क्या कलर ब्लाइंडनेस का इलाज संभव है?

    अगर कलर ब्लाइंडनेस आनुवंशिक (Genetic) है, तो इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है. हालांकि, कुछ विशेष कलर करेक्शन ग्लासेस और कॉन्टैक्ट लेंस उपलब्ध हैं जो कुछ हद तक रंगों को स्पष्ट देखने में मदद कर सकते हैं. अगर यह किसी दवाई के साइड इफेक्ट या किसी अन्य बीमारी के कारण हुआ है, तो सही इलाज से यह समस्या ठीक हो सकती है.

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कैसे बचाव किया जा सकता है?

    नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं. अगर किसी दवाई के साइड इफेक्ट के कारण रंगों की पहचान में परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से सलाह लें. विशेष चश्मे और लेंस का उपयोग करें, जो रंगों को पहचानने में मदद कर सकते हैं. अगर परिवार में किसी को यह समस्या है तो बच्चों की आंखों की समय पर जांच कराएं.

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