अब बैंकों को एनपीए निपटाने के लिए सिर्फ एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (ARC) पर निर्भर नहीं रहना होगा. RBI ने एक नया विकल्प दिया है जिसके तहत बैंक अपने खराब कर्ज (स्ट्रेस्ड एसेट्स) को बाजार में बेच सकेंगे.
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को-लेंडिंग का दायरा बढ़ा
अब सिर्फ बैंक और NBFC ही नहीं, बल्कि माइक्रोफाइनेंस और अन्य रेगुलेटेड संस्थाएं भी को-लेंडिंग कर सकेंगी.
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गोल्ड लोन पर यूनिफॉर्म रेगुलेशन की तैयारी
गोल्ड लोन पर अब एक समान नियामकीय दिशा-निर्देश लागू किए जाएंगे. इससे बैंकों और NBFCs के बीच संचालन में एकरूपता आएगी और ग्राहक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.
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दो सेक्टरों के लिए नए नियम
बैंक गारंटी और लेटर ऑफ क्रेडिट जैसी सेवाओं पर अब एक समान नियम लागू होंगे. साथ ही, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देने के लिए PCE से जुड़े दिशा-निर्देश भी संशोधित किए जाएंगे.
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UPI ट्रांजैक्शन लिमिट तय करेगा NPCI
RBI अब UPI पेमेंट लिमिट का नियंत्रण NPCI को सौंपेगा. इससे भुगतान सीमा में तेजी से बदलाव किया जा सकेगा और डिजिटल पेमेंट की पहुंच बढ़ेगी.
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Regulatory Sandbox होगा ऑन-टैप
अब फिनटेक कंपनियों को इनोवेशन के लिए किसी खास थीम की आवश्यकता नहीं होगी.
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डिजिटल बैंकिंग को मिलेगा नया आयाम
इन सभी बदलावों के पीछे RBI का मकसद है - भारत की फाइनेंसियल सिस्टम को आधुनिक बनाना है.