India Daily Webstory

उत्तराखंड में बैसाखी पर भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं जल?


Babli Rautela
Babli Rautela
2025/04/14 14:19:03 IST
देवभूमि में बैसाखी की रौनक

देवभूमि में बैसाखी की रौनक

    उत्तराखंड में इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत माना जाता है. यह समय प्रकृति के नवीकरण और नए जीवन का उत्सव है.

India Daily
Credit: Pinterest
शिव मंदिरों में पूजा

शिव मंदिरों में पूजा

    इस दिन लोग गंगा और दूसरी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान-पुण्य करते हैं और शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

India Daily
Credit: Pinterest
गंगा स्नान से शुरू बैसाखी का पर्व

गंगा स्नान से शुरू बैसाखी का पर्व

    शिव पुराण के अनुसार, जब देवता और असुर समुद्र मंथन कर रहे थे, तब हलाहल नामक विष निकला, जो सृष्टि को नष्ट करने में सक्षम था.

India Daily
Credit: Pinterest
भगवान शिव

भगवान शिव

    भगवान शिव ने मानवता की रक्षा के लिए इस विष को अपने कंठ में धारण किया, जिससे उनका शरीर अत्यधिक गर्म हो गया. देवताओं ने गंगा जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर उन्हें शीतल किया.

India Daily
Credit: Pinterest
शिव का बलिदान

शिव का बलिदान

    उत्तराखंड के प्रसिद्ध शिव मंदिर जैसे केदारनाथ, तुंगनाथ, बैजनाथ और हरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में बैसाखी पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है.

India Daily
Credit: Pinterest
शिवलिंग

शिवलिंग

    भक्त सुबह-सुबह गंगा जल से स्नान कर शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाते हैं.

India Daily
Credit: Pinterest
शिव भक्ति में डूबा उत्तराखंड

शिव भक्ति में डूबा उत्तराखंड

    शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भक्तों का मन नकारात्मक विचारों से मुक्त होता है.

India Daily
Credit: Pinterest
जल से शुद्धि

जल से शुद्धि

    जल चढ़ाने की प्रथा का वैज्ञानिक आधार भी है. शिवलिंग पर जल डालने से पत्थर का तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे मंदिर का वातावरण शीतल और शुद्ध होता है.

India Daily
Credit: Pinterest
जल चढ़ाने की प्रथा

जल चढ़ाने की प्रथा

    बैसाखी पर जल चढ़ाने की प्रथा प्रकृति के प्रति सम्मान को भी दर्शाती है. बैसाखी के अवसर पर कई मंदिरों में वृक्षारोपण जैसे कार्य भी किए जाते हैं.

India Daily
Credit: Pinterest
More Stories