भोलेनाथ को क्यों चढ़ाया जाता है धतूरा और बेल पत्र?
Princy Sharma
2025/02/25 13:17:12 IST
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. इस साल शिवरात्रि का पावन पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था.
Credit: Pinterest धतूरा और बेल पत्र
महाशिवरात्रि के दिन सभी भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए धतूरा और बिल्व पत्र चढ़ाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनका क्या महत्व है और इन्हें भोलेनाथ को क्यों चढ़ाया जाता है.
Credit: Pinterest जहरीला और कड़वा
वामन पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव ने विष पी लिया था, तब उनके वक्षस्थल से धतूरा निकला था. बता दें, धतूरा जहरीला और कड़वा होता है.
Credit: Pinterest क्यों चढ़ाया जाता है धतूरा?
भगवान को चढ़ाया जाने वाला धतूरा का फल या फूल इस बात का प्रतीक है कि हम समर्पण कर रहे हैं और अपनी सारी कड़वाहट, नकारात्मकता और घृणा, ईर्ष्या और क्रोध जैसी विषाक्तता से छुटकारा पा रहे हैं. इससे आप पवित्र हो जाते हैं और सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं.
Credit: Pinterest बेल पत्र
बेल पत्र, जिसे बिल्व पत्र के नाम से भी जाना जाता है, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली छह आवश्यक चीजों में से एक है.
Credit: Pinterest महादेव को प्रिय चीज
रुद्राक्ष की माला के बाद, बिल्व पत्र महादेव को सबसे प्रिय चीज है. शिव पूजा के दौरान, महामृत्युंजय और अन्य शिव मंत्रों के जाप के साथ इन पत्तियों को शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है.
Credit: Pinterest स्कंद पुराण
स्कंद पुराण में उल्लेख है कि एक बार देवी पार्वती के पसीने की बूंदें मंदराचल पर्वत पर गिरीं. इससे वहां एक बेल या बिल्व का पौधा उग आया.
Credit: Pinterest क्या है मान्यता?
मान्यता है कि शिव की दिव्य पत्नी पार्वती अपने सभी रूपों में बिल्व वृक्ष में निवास करती हैं. वे जड़ों में गिरिजा, तने में माहेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती, फलों में कात्यायनी और फूलों में गौरी के रूप में निवास करती हैं.
Credit: Pinterest भगवान शिव को कैसे करें प्रसन्न?
ऐसा माना जाता है कि 100 कमल के फूल 1 नीलकमल के बराबर होते हैं और 1000 नीलकमल 1 बेलपत्र के बराबर होते हैं. इसलिए बेलपत्र चढ़ाना भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है.
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