कितने तरह की होती है कांवड़ यात्रा, जानिए सबकुछ


India Daily Live
2024/07/22 18:54:45 IST

कब से शुरू है सावन माह?

    भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना सावन आज यानी 22 जुलाई से शुरू हो चुकी है.

Credit: Social Media

इस माह की विशेषता

    एक बार फिर जगह-जगह भगवा रंग, कंधे पर गंगाजल से सजा हुआ कांवड़ और भगवान शिव की नचारी में झूमते नाचते भक्त मंदिर तक जाते हैं और फिर उसी गंगा जल से भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं.

Credit: Social Media

कई प्रकार के होते हैं कांवड़ यात्रा

    हर साल लाखों की संख्या में कांवड़ियों उत्तराखंड के हरिद्वार और सुल्तानगंज से देवघर बाबा तक गंगा जल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा कई प्रकार की होती है.

Credit: Social Media

कितने प्रकार के होते हैं कांवड़ यात्रा?

    चार प्रकार होते हैं कांवड़ यात्रा

Credit: Social Media

सामान्य कांवड़

    इस कांवड़ यात्रा में कांवड़ियां रास्ते में आराम करते हुए यात्रा करते हैं और फिर मंदिर तक पहुंचते हैं. उठते-बैठते श्रद्धालु धाम तक पहुंच जाते हैं.

Credit: Social Media

खड़ी कांवड़

    यह कांवड़ यात्रा सामान्य से थोड़ी अलग होती है. इसमें लगातार चलना होता है. इसमें एक कांवड़ के साथ दो तीन कांवड़ियों होती हैं, जो एक के थकने पर दूसरा उस कांवड़ को संभालते हैं. इसमें कहीं पर कांवड़ को रखना नहीं होता है.

Credit: Social Media

डाक कांवड़

    इस कांवड़ यात्रा में जिस दिन कांवरिया जल उठाते है उसी दिन उस जल को चढ़ाना होता है. इस में बम यानी कांवड़िया आराम नहीं करते.

Credit: Social Media

दांडी कांवड़

    यह कांवड़ यात्रा बाकी तीनों यात्रा से काफी कठिन होती है. इसमें कांवड़िए को बोल बम, ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए दंडवत होकर इस यात्रा को तय करनी होती है. इस यात्रा को काफी समय लग जाता है.

Credit: Social Media

कब शुरू हुई थी कांवड़ यात्रा?

    पौराणिक मान्यता है कि भगवान राम पहले कावड़िया थे, जिन्होंने झारखंड के सुल्तानगंज से कांवड़ में गंगा जल भरकर देवघर में शिवलिंग का जलाभिषेक किया था. तब से ये परंपरा चली आ रही है.

Credit: Social Media
More Stories