रंगों से नहीं, भस्म से खेली जाती है होली, काशी के महाश्मशान में होती है ये अनोखी परंपरा
Ritu Sharma
2025/03/11 08:17:18 IST
काशी में रंगों से पहले भस्म की होली
वाराणसी के मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अनोखी होली का आयोजन किया जाता है. यहां रंगों की जगह चिता की भस्म उड़ती है और शिवभक्त नागा संन्यासी इस अलौकिक होली को मनाते हैं.
Credit: Social Mediaशिव भक्ति में डूबे अघोरी और नागा संन्यासी
होली का पर्व काशी में सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं, बल्कि यहां अघोरी और नागा संन्यासी भस्म से खुद को सजाकर महाश्मशान में शिव की भक्ति में लीन हो जाते हैं.
Credit: Social Mediaडमरू की गूंज और हर-हर महादेव के जयघोष
अघोरी और नागा संन्यासी डमरू की ध्वनि और हर-हर महादेव के नारे लगाकर इस अनोखी होली का आनंद लेते हैं. भक्त भी शिवभक्ति में रंगे नजर आते हैं.
Credit: Social Mediaधार्मिक मान्यता - शिव के गौने की याद में होली
कहा जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ मां गौरी को गौना कराकर काशी लाए थे, तब भक्तों ने खुश होकर होली खेली थी. उसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है.
Credit: Social Mediaमृत्यु भी उत्सव है - काशी की अनूठी परंपरा
काशी में मृत्यु को भी एक उत्सव की तरह मनाया जाता है. इसी भावना के तहत श्मशान में होली खेली जाती है, जहां चिता भस्म से खुद को रंगा जाता है.
Credit: Social Mediaतस्वीरों में देखें अनोखी भस्म होली
काशी के श्मशान में होली की तस्वीरें हर साल चर्चा में रहती हैं. यहां अघोरी और नागा संन्यासी अपने अनूठे अंदाज में शिव भक्ति के रंग में डूबकर यह पर्व मनाते हैं.
Credit: Social Mediaदेशभर से जुटते हैं श्रद्धालु
हर साल हजारों श्रद्धालु इस अनोखी परंपरा का हिस्सा बनने के लिए काशी आते हैं. यह अनूठी होली शिव की भक्ति और भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती है.
Credit: Social Media