ब्रज की लट्ठमार से लेकर काशी की मसान होली तक, जानें कहां कैसे मनाया जाता है रंगों का त्योहार?
Ritu Sharma
2025/03/11 14:32:37 IST
ब्रज की लट्ठमार होली - प्रेम और परंपरा का अनूठा संगम
मथुरा-वृंदावन में 40 दिनों तक चलने वाली ब्रज की होली अपने लट्ठमार अंदाज और राधा-कृष्ण के प्रेम से सजी होती है. बरसाना की महिलाएं लाठियों से गोपों को रंगों में सराबोर करती हैं.
Credit: Social Mediaवाराणसी की मसान होली - चिताओं की राख से खेली जाने वाली अनोखी होली
काशी के मणिकर्णिका घाट पर अघोरी साधु जलती चिताओं की राख से होली खेलते हैं. यह परंपरा शिव भक्तों के लिए विशेष मानी जाती है, जहां मृत्यु का उत्सव भी उल्लास के साथ मनाया जाता है.
Credit: Social Mediaपुष्कर की रंगीन होली - विदेशी पर्यटकों के संग धूमधड़ाका
राजस्थान के पुष्कर में होली पर भव्य आयोजन होते हैं. ब्रह्मा मंदिर के पास पारंपरिक लोक नृत्य, शाही जुलूस और रंगों की बरसात इस उत्सव को खास बनाती है.
Credit: Social Mediaइंदौर का गेर महोत्सव - होली के बाद भी रंगों का धमाल
इंदौर की रंगपंचमी पर आयोजित गेर महोत्सव में लाखों लोग सड़कों पर उतरकर रंगों में सराबोर होते हैं. नगर निगम भी रंगीन पानी का छिड़काव करता है, जिससे पूरा शहर रंग-बिरंगा हो जाता है.
Credit: Social Mediaऋषिकेश की गंगा किनारे होली - प्रकृति के बीच रंगों का उत्सव
ऋषिकेश में गंगा किनारे होली का उत्सव मनाने का अलग ही आनंद है. यहां एडवेंचर स्पोर्ट्स के साथ होली पार्टी का आयोजन होता है, जो पर्यटकों को खास आकर्षित करता है.
Credit: Social Mediaजयपुर-उदयपुर की शाही होली - राजसी ठाट-बाट के साथ रंगोत्सव
राजस्थान के जयपुर और उदयपुर में होली पर खास आयोजन होते हैं. यहां शाही परिवारों के महलों में रंगों और फूलों की होली खेली जाती है, जिसमें स्थानीय कलाकार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देते हैं.
Credit: Social Mediaशांतिनिकेतन की बासंतोत्सव होली - रंगों संग सांस्कृतिक महक
पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की परंपरा अनुसार होली को ‘बासंतोत्सव’ के रूप में मनाया जाता है. यहां रंगों के साथ लोक संगीत और नृत्य का शानदार समागम देखने को मिलता है.
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