Indian students did not get jobs in UK: ब्रिटेन में रहने वाले एक लेक्चरर की भारतीय छात्रों की चुनौतियों पर की गई स्पष्ट टिप्पणी ने ऑनलाइन हलचल मचा दी है. Reddit पर @adamsan99 यूजरनेम से पोस्ट करते हुए लेक्चरर ने ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय में अपने अनुभव शेयर किए, जहां 80% छात्र भारत से हैं. उनकी यह पोस्ट भारतीय छात्रों की प्राथमिकताओं और कमियों पर चर्चा का केंद्र बन गई है.
लेक्चरर ने अपनी पोस्ट में खुलासा किया कि ज्यादातर भारतीय छात्र एक साल के M.Sc. कोर्स में इसलिए एडमिशन लेते हैं ताकि उन्हें नौकरी मिले और वे यूके में बस सकें। हालांकि यह एक शानदार अवसर है, लेकिन उन्होंने चिंता जताई कि छात्र पढ़ाई से ज्यादा अंशकालिक नौकरियों को तरजीह देते हैं.
What are the hard truths about studying in the UK from non-Indian?
byu/adamsan99 inIndians_StudyAbroad
उन्होंने लिखा, "कई छात्र जीवन-यापन के खर्चों को पूरा करने में इतने व्यस्त रहते हैं कि वे अपनी पढ़ाई को नज़रअंदाज़ कर देते हैं." आगे उन्होंने कहा, "वे यू.के. के नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए जरूरी स्किल, ज्ञान या पेशेवर पोर्टफोलियो बनाने में विफल रहते हैं। सिर्फ़ यू.के. की डिग्री से नौकरी नहीं मिलती है। वे इससे ज़्यादा चाहते हैं."
संचार और आत्मविश्वास की कमी
लेक्चरर ने भारतीय छात्रों में संचार कौशल, आत्मविश्वास और सक्रियता की कमी को भी उजागर किया. उन्होंने लिखा, "वास्तविकता यह है कि मेरे द्वारा पढ़ाए जाने वाले अधिकांश भारतीय छात्रों में बुनियादी संचार कौशल, आत्मविश्वास और जिज्ञासा की कमी है. वे शर्मीले, संकोची और अक्सर सीखने में निष्क्रिय होते हैं। यह एक गंभीर समस्या है क्योंकि यू.के. में नियोक्ता सक्रिय, अच्छी तरह से बोलने वाले उम्मीदवारों को महत्व देते हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि इन कमियों की वजह से कई छात्रों को नौकरी नहीं मिलती.
लेक्चरर ने पोस्ट की कड़वी सच्चाई
उन्होंने स्वीकार किया कि भारतीय छात्रों को पढ़ाने के बाद उनकी राय बदल गई. "इससे पहले, मैं भारतीयों को मेहनती और बुद्धिमान मानता था, जो अक्सर ऊंचे पदों पर अच्छा प्रदर्शन करते हैं। लेकिन छात्रों के साथ मेरा अनुभव इसके विपरीत रहा है. वे इकट्ठा नहीं होते, पाठ्यक्रम को ठीक से पूरा नहीं करते, और अपने स्किल को विकसित करने की तुलना में पैसा कमाने को प्राथमिकता देते हैं. कोई भी एम्प्लायर किसी ऐसे व्यक्ति को कैसे काम पर रख सकता है जिसमें आत्मविश्वास नहीं है, कोई आलोचनात्मक सोच नहीं है, और प्रभावी ढंग से संवाद करने की क्षमता नहीं है? इसका सीधा जवाब है कि वे ऐसा नहीं करेंगे. इस तरह कई छात्र अंत में भारत लौटने को मजबूर हो जाते हैं.