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Watch: घने जंगलों में स्थित है गणपति का ये मंदिर, 3000 फीट ऊंचाई पर हैं विराजमान, वीडियो हो रहा वायरल

viral video: अपने देश भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी खूबसूरती और कलाकृत्रि के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं. कोई मंदिर पहाड़ पर बसा है तो कोई मंदिर पानी के अंदर. इसी बीच एक ऐसे मंदिर का वीडियो वायरल हो रहा है. जो विशाल जंगल के बीच है. यही नहीं इसके साथ ही वो 3000 फीट की ऊंचाई पर भी स्थिति है.

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Edited By: Suraj Tiwari
Watch: घने जंगलों में स्थित है गणपति का ये मंदिर, 3000 फीट ऊंचाई पर हैं विराजमान, वीडियो हो रहा वायरल

नई दिल्ली : अपने देश भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी खूबसूरती और कलाकृत्रि के लिए दुनिया भर में मशहूर हैं. कोई मंदिर पहाड़ पर बसा है तो कोई मंदिर पानी के अंदर. इसी बीच एक ऐसे मंदिर का वीडियो वायरल हो रहा है. जो विशाल जंगल के बीच है. यही नहीं इसके साथ ही वो 3000 फीट की ऊंचाई पर भी स्थिति है. भगवान गणेश के इस मंदिर का वीडियो इस दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो के वायरल होने के बाद इस मंदिर के बारें जानने के लिए लोगों की उत्सुक्ता बढ़ती जा रही है.

माओवादियों ने तोड़ दी थी प्रतिमा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर इस वीडियो को शेयर किया गया है. शेयर इस वीडियो में देखा जा रहा है कि विशाल जंगल में बहुत ही ऊंचाई पर एक पूजारी भगवान गणेश की प्रतिमा की पूजा कर रहा है. यह प्रतिमा बहुत ही ऊंचाई पर दिखाई दे रही है. इसके साथ ही उसने कैप्शन में लिखा है कि भगवान गणेश की यह अनोखी मूर्ति छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर ढोलकल पर्वत पर स्थित है. पत्थर से शानदार ढंग से उकेरी गई यह मूर्ति हाल ही में हिंदू प्रतीकों और पूजा की वस्तुओं की व्यवस्थित बर्बरता और विनाश का शिकार हुई थी, जब 2017 में माओवादियों ने इसे तोड़ दिया था, लेकिन माओवादी मूर्ति और पर्वत की चोटी की दिव्यता को नष्ट नहीं कर सके, भक्त दर्शन और पूजा करने के लिए मूर्ति तक पहुंचने के लिए 3000 फीट की पैदल चढ़ाई करने की कठिन यात्रा पूरी करते हैं.

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में स्थित है यह मंदिर

वहीं उसने मंदिर के इतिहास के बार में भी बताया है कि इस मूर्ति को 11वीं शताब्दी में तराशा और स्थापित किया गया था. जिसके बाद से नियमित रूप से इसकी पूजा की जाती थी. लेकिन समय के साथ यह लोगों की स्मृति से बाहर हो गया और पेड़ों से ढक गया, और कई वर्षों तक छिपा रहा जब तक कि 1943 में बैलाडिला खदानें खोलने से पहले अंग्रेजों द्वारा इसे फिर से खोजा नहीं गया. मूर्ति लगभग 3 फीट ऊंची है और इसका वजन 500 किलोग्राम से अधिक है. ग्रेनाइट के एक ठोस टुकड़े से बनाई गई गणेश की मूर्ति, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा क्षेत्र में बस्तर के गहरे, अभेद्य जंगलों के बीच एक सुंदर गोलाकार चौकी पर स्थित है.

2012 के बाद से फिर चर्चा में आया यह मंदिर

हालांकि, स्वतंत्रता के बाद, यह मूर्ति वर्ष 2012 तक सार्वजनिक स्मृति से फिर से गायब हो गई, जब एक पत्रकार ढोलकल पर्वत शिखर की ओर जाने वाले घने जंगल में पैदल यात्रा पर निकला. इस पुनः खोज ने इतनी सनसनी पैदा कर दी कि ढोलकल गणेश मंदिर तीर्थयात्रियों, ट्रैकर्स और इतिहास प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बन गया. इस वीडियो के वायरल होने के बाद लोग अपनी आस्था इसके प्रति दिखा रहे हैं.

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