मशहूर शिक्षक और कोचिंग संचालक विकास दिव्यकीर्ति के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं. अक्सर वह किसी मुद्दे को समझाते नजर आते हैं या फिर कोई रोचक प्रसंग सुना रहे होते हैं. इन दिनों उनके कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें वह UPSC परीक्षा, पूजा खेडकर और इसी तरह के कई मुद्दों पर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं. ओबीसी और EWS आरक्षण पर विकास दिव्यकीर्ति ने रोचक बातें कही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि इसमें बहुत बारीक खेल होता है और इस देश में EWS का आरक्षण कोई भी ले सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि ओबीसी और EWS के आरक्षण में इतने बारीक पेच हैं कि कोई भी सुनेगा तो दंग रह जाएगा.
विकास दिव्यकीर्ति ने कहा, 'ओबीसी और EWS के आरक्षण में कितने बारीक पेच हैं, आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे. इस देश में EWS का आरक्षण कोई भी ले सकता है. आप भी ले सकती हैं, मैं भी ले सकता हूं. ओबीसी में एक पेच है कि वहां क्रीमी लेयर का कॉन्सेप्ट है. नियम ये है कि अगर आप ओबीसी से हैं लेकिन क्रीमी लेयर में आते हैं तो आपको जनरल माना जाएगा. इसी से बचना होता है. इतना अंतर है कि अगर आपको IAS बनना है और आप जनरल हैं तो आपको 75 रैंक के अंदर आना होता है जबकि ओबीसी में आप 400 रैंक तक IAS बन सकते हैं.'
उन्होंने आगे कहा, 'पिछले 25 साल में मैं केवल एक ऐसे दोस्त को जानता हूं, जो ओबीसी में था और उसने आरक्षण लेने से मना कर दिया. यह कहकर कि मुझे बचपन और पढ़ाई ठीक मिली तो मैं क्यों आरक्षण का फायदा लूं. जैसे एक नियम है कि अगर आप के पैरेंट्स क्लास 1 की नौकरी में हैं तो आप ओबीसी नहीं हो सकते. आपके दोनों पैरेंट्स ग्रुप बी में हैं तब भी आप नहीं हो सकते. ग्रुप सी, ग्रुप डी में ऐसा नहीं होता. आय चाहे ज्यादा हो, तब भी आप ओबीसी में रहते हैं. मेरे ख्याल से सरकारी नौकरी वालों ने खेल खेला होगा कि उनके बच्चे भी सरकारी नौकरी में आ सकें.'
''आप सुनेंगे तो दंग रह जाएंगे...'' Vikas Divyakirti's shocking revelations on how the OBC quota system gets ‘gamed’ by some UPSC aspirants#ANIPodcast #SmitaPrakash #VikasDivyakirti #OBC #Reservation #Pujakhedkar
— ANI (@ANI) July 22, 2024
Watch Full Episode Here: https://t.co/7CYE5pPKak pic.twitter.com/5iMUricUC8
विकास दिव्यकीर्ति ने आगे कहते हैं, 'एक और खेल खेला गया है कि खेती से होने वाली आय को नहीं देखा जाएगा, यह तय करते समय कि क्रीमी लेयर में आते हैं या नहीं. बहुत सारे सिविल सर्वेंट जो भ्रष्टाचार का रास्ता चुनते हैं वे बड़े पैमाने पर खेती से आय दिखाते हैं. ओबीसी में कैंडिडेट की अपनी इनकम काउंट नहीं होती है, सिर्फ पैरेंट्स की होती है. EWS में सबकी इनकम काउंट होती है, ये अंतर है इसमें.'
वह आगे समझाते हैं, 'उदाहरण के लिए मेरे पिता IAS हैं और वे दो साल में रिटायर होने वाले हैं. अब उनके क्लास 1 अफसर होने की वजह से मैं क्रीमी लेयर में नहीं आ पाऊंगा. उन्होंने खूब पैसा कमा लिया है. उनके पास इतना पैसा है कि मैं उससे जिंदगी भर अपना काम चला सकता हूं. बहुत सारी बिल्डिंग खरीदी हैं जिनका रेंट आता है. अब मैं अपने पापा से कहता हूं कि मुझे IAS बनना है लेकिन जनरल से नहीं बन पाऊंगा, ओबीसी से बन पाऊंगा तो आप सपोर्ट करिए. ऐसे केस में वह रिजाइन कर देते हैं. 2 साल की सर्विस बची थी, पैसा पहले ही कमा सकते हैं. उनके रिजाइन करते ही यह शर्त हट जाती है कि मेरे पिता क्लास 1 जॉब में हैं. अब वे अपनी सारी संपत्ति मेरे नाम कर देंगे. उनकी सालाना आय 6 लाख से कम हो गई जबकि मेरी महीने की आय 60 लाख हो गई. ओबीसी होने के लिए क्राइटीरिया मेरी आय नहीं है, सिर्फ मेरे पैरेंट्स की आय है. अब मैं भले ही 50 लाख हर महीने कमा रहा हूं लेकिन अब मैं ओबीसी कैटगरी के योग्य माना जाऊंगा.'