Old Letter On Address: एक समय था जब चिट्ठियों का दौर हुआ करता था. तब ना तो फोन था और ना ही इंटरनेट. उस जमाने में चिट्ठियां ही संचार का एक मजबूत माध्याम माना जाया करती थी. लेकिन आज के समय में इंटरनेट और फोन की वजह से चिठ्ठियों का दौर लगभग - लगभग खत्म हो गया है. अब सिर्फ सरकारी कागजात ही या फिर कोई काम का कोरियर घर को पहुंचते हैं. लेकिन एक चिठ्ठी ने पुरानी यादे ताजा कर दी है. ये चिठ्ठी किसी ने 1995 में किसी को भेजी थी और ये अब जाकर अपने गंतव्य स्थान तक पहुंची है.
कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक चिट्ठी 28 साल बाद अपने सही पते पर पहुंची है. इस चिट्ठी ने कई शहर, कई गांव घूमें लेकिन यह सही पते पर नहीं पहुंच सकी थी लेकिन 28 साल बाद इस चिठ्ठी को उसकी मंजिल मिल गई. यह पूरा मामला ब्रिटेन का है. जिस शख्स को यह चिठ्ठी मिली है अब उनकी उम्र 60 बरस हो चुकी है.
सोशल मीडिया पर घूम रही इस चिट्ठी पर 3 अगस्त 1995 की तारीख अंकित है. शख्स ने इस चिट्ठी को खोला तो इस चिठ्ठी में उसे पुरानी बाते लिखी हुई मिली. घर-परिवार से लेकर, बचपन की यादें, कैसे बड़े हुए, जीवन का सफर, समेत कई बाते लिखी थी. जॉन रेनबो इस चिठ्ठी को पढ़ने के लिए बेहद उत्सुक थे. इस चिठ्ठी में कुछ ऐसी भी बातें लिखी थी, वो इस शख्स को भी नहीं पता थी.
चिट्ठी ने ताजा कर दीं पुरानी यादें
चिट्ठी पढ़ने के बाद शख्स ने बताया कि उसकी पुरानी यादें ताजा हो गई है. इतना ही नहीं चिट्ठी पढ़ते - पढ़ते शख्स के आंसू निकल आए. आप सोचिए एक चिट्ठी में कितना वियोग, कितना रस और कितना प्रेम छिपा होता है. चिठ्ठी को पढ़ने वाले शख्स को इस बात का बहुत दुख हुआ कि आखिर यह चिट्ठी उन्हें इतनी देर से क्यों प्राप्त हुई.
दर्द भरे लमहे लोग चिट्ठी में लिख अपने प्यार को भेजते थे
एक दौर था जब प्रेमी अपनी प्रेमिका और प्रेमिका अपनी प्रेमी को चिट्ठी के जरिए अपने मन की बात, अपने प्रेम का इजहार किया करते थे. अब वो दौर जा चुके हैं. आज के दौर में प्रेमी सोशल मीडिया पर ही प्रेम प्रकट करते हैं. अब मोहबत्त का इजहार लोग खुलेआम ही किया करते हैं. लेकिन आज के डिजिटल जमाने का प्रेम इतना फास्ट हो गया है कि उस जमाने के प्रेम की कोई अहमियत ही नहीं बची. आज का युवा वर्ग सिर्फ एक मैसेज करके अपना प्रेम जाहिर करता है और अगले छण ही एक मैसेज के जरिए जुदाई का मैसेज डाल दिया जाता है. क्या यही है आज के जमाने का डिजिटल इश्क?
एक दौर वो था जब हफ्तों, महीनों, यहां तक की सालों एक प्रेमी खत का इंतजार किया करता था. वो एक ऐसा प्रेम था जो प्रेमी जोड़ों को बांधकर रखे रहता था. उस जमाने के प्रेम में जुदाई होने के चांसेज बहुत कम हुआ करते थे. अब आप बताइए किस जमाने का प्रेम मजबूत था. आज का डिजिटल इश्क या फिर उस पुराने दौर का खत वाला या फिर कह लीजिए चिठ्ठी वाला इश्क.
क्या आपने कभी किसी के लिए चिट्ठी लिखी है?
सवाल ये नहीं है कि आपने सोशल मीडिया के जरिए, मैसेज के जरिए या फिर मेल के जरिए चिठ्ठी भेजी है. सवाल ये है कि क्या आपने कभी डाक के माध्यम एक सादे पेपर पर किसी के लिए चिट्ठी लिखी है? खत लिखना आसान भी नहीं होता खासकर प्रेम भरे पत्र. पुराने जमाने में प्रेम भरे खत लिखने में महीनों लग जाते थे. क्या लिखना है, कैसे अपनी भावनाओं को शब्दों के माध्यम से उस तक पहुंचाना, सभी बातों का प्रेमी ख्याल रखा करते थे.