हीरे जड़ी पायल, हजारों साड़ियां, इस महारानी के शौक ने करवा दिया था तलाक
महाराजा प्रतापसिंहराव गायकवाड़ उस वक्त दुनिया के आठवें सबसे अमीर इंसान थे लेकिन महारानी के खर्चों ने महाराज को कंगाल कर दिया और उन्हें कर्ज लेने पर मजबूर होना पड़ा. कहा जाता है कि एक बार महारानी अमेरिका घूमने गई जहां उन्होंने 83 करोड़ रुपए खर्च कर डाले.
ये कहानी है महारानी सीता देवी की जिन्होंने महाराजा प्रतापसिंहराव गायकवाड़ से शादी करने के लिये मुस्लिम धर्म अपनाया और फिर बाद में हिंदू धर्म अपना लिया. सीता देवी ने अपने पति महाराजा प्रतावसिंहराव गायकवाड़ की अकूत संपत्ति का ऐसा इस्तेमाल किया कि वह कर्जे में आ गए और आखिरकार यह रिश्ता तलाक की भेंट चढ़ गया.
महाराजा से शादी करने के लिए अपनाया इस्लाम
सीता देवी की पहली शादी एम.आर. अप्पा राव बहादुर से हुई थी. अप्पा राव एक बहुत बड़े जमींदार थे. राव बहादुर से उन्हें एक बेटा भी हुआ था. इस रिश्ते ने तब करवट ली जब सीता देवी की मुलाकात 1943 में मद्रास हॉर्स रेस में बड़ौदा के महाराजा प्रतापसिंह राव गायकवाड़ से हुई. महाराजा गायकवाड़ उस वक्त दुनिका के 8वें सबसे अमीर व्यक्ति थे.
इस मुलाकात के बाद सीता देवी महाराजा गायकवाड़ पर मोहित हो गईं. महाराजा उनके ख्वाबों में आने लगे थे और अब वह उनसे शादी करना चाहती थीं लेकिन पेच तलाक पर फंस गया. महाराजा गायकवाड़ की सलाहकार टीम ने बताया कि अगर सीता देवी इस्लाम धर्म अपना लेती हैं तो वो अपने पहले पति को तलाक दे सकती हैं. सीता देवी ने ऐसा ही किया हालांकि उन्होंने तलाक के बाद फिर से हिंदू धर्म अपनाया और महाराजा गायकवाड़ से शादी रचाई. शादी के बाद ये जोड़ा मोंटे कारलो रहने चला गया.
पानी की तरह बहाया महाराजा का पैसा
महारानी सीता देवी फिजूलखर्ची के लिए जानी जाती थीं. उन्होंने अपने शौक, ऐशो-आराम पर बेहिसाब दौलत उड़ाई. कहा जाता है कि वह दो बार अमेरिका भी घूमने गई थीं जहां उन्होंने लगभग 83 करोड़ रुपए खर्च कर डाले.
सीता देवी के शौक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह सफर पर अपने साथ 1 हजार साड़ियां, हर साड़ी के मैच के जूते, गहनों का कलेक्शन लेकर चलती थीं.
सोने का टंग क्लीनर, रूबी से जड़ा सिगरेट होल्डर
क्रिस्टीज न्यूयॉर्क आर्ट एंड लग्जरी बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक महाराजा से शादी के बाद सीता देवी को बड़ौदा राजकोष से जो गहने मिले थे उनमें से कुछ मुगलकालीन भी थे. इसमें एक सात रंग का मोती का हार और तीन लाइन वाले हीरे का हार भी था, जिनमें 'द स्टार ऑफ द साउथ' और 'इंग्लिश ड्रेस्डेन हीरे' जड़े हुए थे, हालांकि बाद में उन्होंने कई गहने मोनाको में बेच दिए लेकिन सात रंग का मोती का हार अब भी बड़ौदा राजकोष में सुरक्षित रखा है. कहा जाता है कि सीता देवी का टंग क्लीनर सोने से बना हुआ था और उनका सिगरेट होल्डर रूबी से जड़ा हुआ था.
सीता देवी की फिजूलखर्ची से कर्ज में डूबे महाराजा
1969 के एस्कॉट गोल्ड कप में सीता देवी ने अपने दाहिने हाथा में 30 कैरेट की नीलम की अंगूठी पहनी थी जिसे छूने के लिए उन्होंने मेहमानों को भी आमंत्रित किया था. सीता देवी ने महाराजा की संपत्ति को इस कदर उड़ाया कि महाराजा को कर्ज लेने की नौबत आ गई. उन्हें बिना ब्याज पर बहुत सारा कर्ज लेना पड़ा. महारानी सीता देवी के फिजूलखर्च से महाराजा गायकवाड़ तंग आ चुके थे आखिरकार महाराजा गायकवाड़ और महारानी देवी का तलाक हो गया.