'संगरमरमर, सोने का शहर और...' 62 साल की महिला ने 4 बार देखा स्वर्ग, हर बार मुंह के मौत से वापस आने का दावा
शारोन मिलिमैन के जीवन में चार बार मौत का सामना करने के बाद भी उनका विश्वास है कि वह हर बार एक नई दिशा की ओर बढ़ी हैं. उनके अनुभवों ने यह साबित कर दिया कि मौत के पार एक और दुनिया है, जो शांति और आशीर्वाद से भरी हुई है.
ब्रिटेन की एक फेमस लेखक शेरोन मिलिमैन ने हैरान कर देने वाला दावा पेश किया है. जिन्होंने अपने जीवन में चार बार मृत्यु के कगार पर खड़े होने का सामना किया, आज भी जीवित हैं. उनका मानना है कि यह एक "चमत्कार" है. उनके अनुभव ने न केवल उन्हें बल्कि उन सभी को भी सोचने पर मजबूर किया है, जो जीवन और मृत्यु के बीच के अंतर को समझने की कोशिश कर रहे हैं. जहां लेखिका को दो जानलेवा स्वास्थ्य जटिलताओं का सामना करना पड़ा है, एक तो वह डूबने से कुछ ही सेकंड दूर था और दूसरा, एक मित्र से फोन पर बात करते समय बिजली गिरने से उसकी मौत हो गई.
पहली बार मृत्यु के कगार पर
शारोन का पहला नज़दीकी मृत्यु अनुभव तब हुआ जब वह महज 13 साल की थीं और तैराकी के दौरान पानी में डूबने के कारण उनकी हालत गंभीर हो गई थी. शारोन बताती हैं, "मैंने न तो दर्द महसूस किया, न ही डर, बल्कि मैं बस शांत और अचल पड़ी रही. मेरी आत्मा मुझे अपने शरीर से बाहर महसूस हो रही थी और मैं सबकुछ देख और सुन सकती थी. हालांकि, उनकी मदद के लिए लाइफगार्ड्स ने कड़ी मेहनत की, लेकिन इस अनुभव के बाद शारोन ने कभी तैराकी नहीं की.
आकाश से बिजली का हमला और दूसरी बार जीवन-मृत्यु का अनुभव
2005 में, शारोन को अपने घर के बाहर बिजली का करंट लगा। शारोन ने कहा, "एक तड़पती दर्द की लहर महसूस की, और फिर मेरा दिल रुक गया. मेरी आत्मा एक बार फिर मेरे शरीर से बाहर निकल गई." हालांकि, उनकी बेटी ने तुरंत उन्हें होश में लाया. इस बार उन्हें दिल में रुकावट और मिर्गी की समस्या का सामना करना पड़ा.
तीसरी बार: जीवन के संकट के बीच देवदूत की मौजूदगी
2016 में शारोन की आंतों में रुकावट आई और उन्हें आपातकालीन सर्जरी से गुजरना पड़ा. इसके बाद उन्हें एक और जीवन-मृत्यु का अनुभव हुआ. उन्होंने कहा, "मेरी आत्मा स्वर्ग में पहुंच गई, जहां मुझे अपने दो छोटे भाई मिले, जिन्होंने पहले ही दुनिया छोड़ दी थी." शारोन का यह अनुभव इतना गहरा था कि उसने उन्हें जीवन के बारे में एक नया नजरिया दिया.
चौथी बार: जीवन के कगार पर
2017 में शारोन को मिर्गी की दवा के प्रतिकूल प्रभाव के कारण फिर से सांस रुकने का अनुभव हुआ. इस बार, उनकी आत्मा सितारों और ग्रहों के बीच थी, जहां समय की कोई पहचान नहीं थी. लेकिन फिर जैसे ही ऑक्सीजन उनकी नाड़ियों में वापस आई, उनकी आत्मा को उनके शरीर में "खिंच" लिया गया.
ईश्वर, यीशु और दिव्य मार्गदर्शन
शारोन का मानना है कि उनके प्रत्येक अनुभव ने उन्हें जीवन को समझने और उसे स्वीकार करने में मदद की है. वह कहती हैं, "हर मृत्यु के करीब का अनुभव ईश्वर का आशीर्वाद था, जिसने मुझे जीवन की सच्चाई समझाई. शारोन ने बताया कि उन्हें कई बार यीशु से मिलकर यह एहसास हुआ कि वह अकेली नहीं हैं और मृत्यु से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है.