1 लाख रुपये था घर का किराया, तंग आकर कुत्ते के साथ रहने लगी लड़की

शैनन लेन लंदन में रहती थीं, जहां उनके इलाके में एक बेडरूम वाले फ्लैट का किराया £1,600 (लगभग 1.68 लाख रुपये) प्रति माह था. रूम का इतना महंगा किराया देने से वह डिप्रेश हो गई थी. अंत में उन्होंने घर छोड़ दिया और अपने कुत्ते के साथ एक नाव में रहने का फैसला किया.

Social Media

आज के समय में किराए के घर में रहना बहुत महंगा हो गया है. लोग बड़ी मुश्किल से अपने सपने का घर खरीदने की कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार यह संभव नहीं हो पाता. इंग्लैंड की 29 वर्षीय शैनन लेन ने भी ऐसी ही परिस्थिति का सामना किया. बढ़ते किराए से परेशान होकर उन्होंने एक अनोखा रास्ता चुना – नाव में रहना.

लंदन में रहने वाली शैनन को एक कमरे के फ्लैट का किराया करीब 1.68 लाख रुपये प्रति महीने देना पड़ता था. वह एक फ्रीलांस प्रोड्यूसर हैं और उनके साथ उनका पालतू कुत्ता गिल्बर्ट भी रहता है. सस्ते और पेट-फ्रेंडली घर की तलाश में वह परेशान हो चुकी थीं. एक समय तो उन्होंने एक कमरे के लिए 94,000 रुपये किराया चुकाया.

कुत्ते के साथ नाव में रहने का फैसला

अक्टूबर 2022 में किंग्स क्रॉस कैनाल के पास टहलते हुए उन्होंने एक विज्ञापन देखा जिसमें एक नैरोबोट बेचने की जानकारी दी गई थी. यह 30 फुट लंबी नाव सभी जरूरी सुविधाओं से लैस थी. शैनन ने इसे खरीदने के लिए 25,000 पाउंड (करीब 25 लाख रुपये) का कर्ज लिया और जनवरी 2023 में उसमें रहने चली गईं.

नाव में रहने के बाद शैनन का कहना है कि उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ है. पहले वे डिप्रेशन से जूझ रही थीं, लेकिन अब उनकी जिंदगी में काफी सकारात्मक बदलाव आया है.

सर्दियों में चुनौतियां

हालांकि, नाव में रहना आसान नहीं है. खासकर सर्दियों में समस्याएं बढ़ जाती हैं. ठंड के कारण पानी और यहां तक कि कॉफी भी जम जाती है. एक बार सर्दी के कारण उन्हें अस्थायी रूप से नाव छोड़नी पड़ी थी. लेकिन इसके बावजूद, वे अपनी बचत से खुश हैं.

हर महीने लाखों की बचत

शैनन हर महीने करीब 1.2 लाख रुपये बचा रही हैं. गर्मियों में वह फिर से नाव पर रहने की योजना बना रही हैं. नाव पर रहने से उन्हें सिर्फ आर्थिक फायदा ही नहीं हुआ, बल्कि वहां की समुदायिक जीवनशैली से भी उन्हें खुशी मिल रही है.

लोगों के साथ हुआ जुड़ाव  

नाव पर रहने वाले अन्य लोगों के साथ जुड़कर शैनन को एक नई पहचान और अपनापन महसूस हुआ है. यह जीवनशैली न केवल किफायती है, बल्कि उन्हें मानसिक और सामाजिक संतोष भी देती है.