कई लोग अभावों का रोना रोकर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं जबकि कुछ लोग अभावों में भी अवसर तलाश लेते हैं और कुछ कर गुजरते हैं. बुलढाणा के एक गरीब पिता की बेटी ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जिससे हर तरफ उसकी वाहवाही हो रही है. बकरियां चराकर अपना घर चलाने वाले की बेटी ने हौसलों की ऐसी उड़ान भरी की डेढ लाख रुपए महीने की नौकरी करने के लिए बुलढाणा से सीधे जापान पहुंच गई.
हम बात कर रहे हैं रोहिणी गवई की. रोहिणी गवई बुलढाणा शहर से 7 किलोमीटर दूर कोलवाड गांव की रहने वाली हैं. अपने गरीब पिता के सपनों को पूरा करने के लिए रोहिणी ने पहले 10वीं पास की और फिर कृषि विद्यालय से डिप्लोमा किया. इसके बाद उसने जापानी भाषा सीख ली.
घर की माली हालत ठीक नहीं थी इसलिए रोहिणी भी अक्सर अपने पिता के साथ बकरियां चराने के लिए चली जाया करती थी. घर का गुजारा बड़ी मुश्किल से होता था, लेकिन जापानी भाषा सीखने से उसकी किस्मत चमक गई. जापान की एक फूड प्रोसेसिंग कंपनी ने रोहिणी को 1 लाख 58 हजार रुपए महीने की नौकरी का ऑफर लेटर भेज दिया.
अपनी कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए रोहिणी ने कहा, 'मैने कृषि डिप्लोमा किया है. मेरे पिता मजदूरी करते हैं. मैंने बुलढाणा के बोट्री फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई जापानी भाषा की परीक्षा पास की जिसके बाद मुझे जापान की एक फूड प्रोसेसिंग कंपनी से जॉब का ऑफर मिला. मेरी सैलरी 1 लाख 58 हजार रुपे है और मैं जापान जा रही हूं.'
अपनी बेटी को जापान भेजने के लिए उसके गरीब पिता ने अपना घर गिरवी रख दिया और ब्याज सहित टिकट के लिए 3 लाख रुपए जुटाए और बेटी को जापान भेज दिया.