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India Daily

'फूफाजी वनवास से आये थे क्या...' 32 साल पुरानी चार पन्नो की दहेज लिस्ट देखकर आपके भी उड़ जाएंगे होश

एक शख्स ने 32 साल पुरानी अपनी बुआ की शादी की दहेज लिस्ट Reddit पर पोस्ट की. 1993 की इस चार पन्नों की दहेज लिस्ट ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी. आइए जानते हैं क्या था पूरा मसला?

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Edited By: Garima Singh
dahej list
Courtesy: x

Reddit user sheres posted four-page dowry: भारत में शादी-विवाह को उत्सव की तरह मनाया जाता है. विवाह को प्यार, विश्वास और साथ जीने की कसम का प्रतीक माना जाता है. लेकिन ये दहेज जैसी कुरीतियों से दागदार हो जाती है. हालांकि कानून इन समस्याओं से बचाव के लिए मौजूद हैं, फिर भी सही जीवनसाथी चुनने की चुनौती बनी रहती है. माता-पिता अपनी बेटियों की खुशी और सुरक्षा के लिए जीवनभर की कमाई खर्च करते हैं, वहीं बेटियां इस बोझ को ताउम्र महसूस करती हैं. हाल ही में एक पुरानी दहेज की लिस्ट ने सोशल मीडिया पर फिर से इस मुद्दे को चर्चा में ला दिया. 

रेडिट पर एक यूजर ने अपनी बुआ के 1993 के विवाह के समय दी गई दहेज की चार पन्नों की लिस्ट शेयर की. इस लंबी लिस्ट में फ्रिज, आयरन, लैंप, सैंडविच मेकर जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान, तकिया कवर, फ्रिज और सोफा कवर, कंबल बिस्तर के सामान शामिल थे. इसके अलावा, सोफा, बेड, ड्रेसिंग टेबल, अलमारी जैसे फर्नीचर और दूल्हे व उसके परिवार के लिए कपड़े और सोने के आभूषण भी लिस्ट में थे. सबसे हैरान करने वाली बात यह थी कि सूची में ग्लास, प्लेट, करछी, चम्मच और चकला-बेलन जैसे छोटे-मोटे सामान भी शामिल थे.

My Bua's Dowry, 1993
byu/silently_reading2 indelhi

नेटिजन्स की प्रतिक्रियाएं

रेडिट पर इस पोस्ट के वायरल होने के बाद नेटिजन्स ने इस पर खुलकर अपनी राय रखी. एक यूजर ने अनुमान लगाया कि इस दहेज का मूल्य उस समय 7.5 लाख से 10 लाख रुपये के बीच रहा होगा. एक अन्य यूजर ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, "भाई तुम्हारे घर से उनको सारा सामान गया... फूफा जी वनवास में बड़े हुए थे क्या.' किसी ने लिखा, "पिलो कवर? रुमाल? घर खरीदने के बाद शायद पैसे नहीं बचे होंगे.' एक यूजर ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा, "लोग भूल जाते हैं कि दहेज की समस्या कितनी गंभीर थी (और अभी भी है). 80 और 90 के दशक में दूल्हे की मांगें पूरी न होने पर दुल्हनों को जिंदा जला दिया जाता था.'

1990 के दशक में दहेज से जुड़े अपराध

1990 के दशक में दहेज से संबंधित अपराध इतने बढ़ गए थे कि सरकार को दूरदर्शन पर जागरूकता विज्ञापन प्रसारित करना पड़ा. यह विज्ञापन दहेज रोकने के बारे में नहीं, बल्कि दहेज के कारण होने वाली हत्याओं से निपटने के तरीकों पर था. उस समय करीब 6000 दहेज हत्याओं की खबरें सामने आई थीं, जिसके बाद सरकार ने लोगों को सतर्क करने के लिए कदम उठाया.