जंगल में मिलने वाली सभी जंगली चीजें बेहद अद्भूत होती है, ऐसे में जुगनू वाले मशरूम ने अपनी ओर लोगों का ध्यान खूब आकर्षित किया है. अक्सर आपने देखा होगा कि जंगली इलाकें में जब बारिश होती है. तब बड़े-बड़े पेड़ के नीचे एक सफेद छत्ता यानी मशरूम अपने आप निकल या उग जाता है, लेकिन क्या आपने कभी ऐसे मशरूम को देखा है जो रात के अंधेरो में हर जगह जुगनू की तरह चमकता हो. बहुत कम या ना के बराबर ही लोगों ने ऐसे मशरूम देखेंगे होंगे, लेकिन वैज्ञानिकों की एक टीम ने हमारे देश के कुछ हिस्सों में बांस के जंगलों में मशरूम की एक ऐसी ही प्रजाति की खोज की है. जो रात के अंधेरो में हरे रंग की रोशनी से जगमगाती है. या यूं कहें तो उस मशरूम में जुगनू सी रोशनी दिखती है.
वैज्ञानिकों ने केरल के कासरगोड के घने जंगलों में इस दुर्लभ जैवदीप्त बायोल्यूमिनसेंट मशरूम ढूंढ निकाला है. 'फिलोबोलेटस मैनिपुलरिस' नाम का ये अद्भुत मशरूम रात के समय जंगल के उस जगह को हरे रंग की चमक से रोशन करता है. ये ऐसा नजारा है जिसने रिसर्चर्स का दिल जीत लिया और जिसने भी यह देखा, उसकी आंखें फटी की फटी ही रह गई.
आपको बता दें कि ऐसी अनोखी खोज तब सामने आई है जब केरल के वन विभाग और मशरूम ऑफ इंडिया कम्युनिटी नाम के ग्रुप ने मिलकर रानीपुरम के जंगल में सूक्ष्म फफूंदों की जांच कर रहे थे. वनस्पति विज्ञान से जुड़ी मैगजीन फाइटोटैक्सा में छपे रिसर्ज के मुताबिक, मशरूम की यह नई प्रजाति सबसे पहले साल 2019 में फंगी बायोडायवर्सिटी सर्वे के दौरान देखी गई थी. मशरूम की इस प्रजाति को अब दुनियाभर में बायोल्यूमिनसेंट प्रताजियों के साथ जोड़ा गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि रात के अंधेरों में जो हरे रंग की चमक नजर आई, वे सिर्फ इन मशरूमों के डंठल में ही थी. जबकि ऊपरी भाग में ऐसा कोई अंतर या रोशनी नहीं देखी गई है.
रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि इन मशरूमों के जड़ में हरे रंग की रोशनी लूसिफेरेज नाम के एंजाइम की वजह से पैदा होती है. इन मशरूमों का केवल एक ही हिस्सा हरे रंग का क्यों होता है. इस पर ऐसी कई थ्योरी सामने आई है. जिसमें एक में बताया गया कि अपने बीजाणु के फैलाव के लिए कीट-पतंगों को आकर्षित करने के मकसद से मशरूम के जड़ का हिस्सा चमकता है. एक थ्योरी ये भी है कि मशरूम इन रोशनी से खुद उन तमाम जानवरों स बचाना हो सकता है जो जंगल में मशरूमों को ज्यादा खा जाते हैं.
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक आमतौर पर इस तरह की हरे रंग की रोशनी छोड़ने की क्षमता धरती पर रहने वाले जीवों के मुकाबले समुद्री जीवों के अंदर ज्यादा पाई जाती है. इन मशरूमों के आणविक डेटा की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि यह मशरूम एक नई किस्म की प्रजाति है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने इस मशरूम के DNA की भी जांच की.