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एक भाई से होती है शादी और सारे भाई बन जाते हैं पति, आखिर ये कैसा है रिवाज?

जोड़ीदारां प्रथा के तहत सभी भाई एक ही महिला से शादी कर लेते हैं. महिला के साथ सोने और संबंध बनाने के लिए उनका समय फिक्स कर दिया जाता है.

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Edited By: India Daily Live
polyandry Custom
Courtesy: pixabay

Fraternal Polyandry Custom:  आज हम आपको भारत के एक ऐसे जिले की कहानी बताने जा रहे हैं जहां लड़की की शादी पहले एक लड़के से होती है लेकिन बाद में उसके सारे भाई उसके पति बन जाते हैं. पढ़कर आपको थोड़ा अचंभा लगा होगा लेकिन यह बात पूरी तरह सच है.  ऐसा क्यों होता है, जिले में ऐसी प्रथा क्यों और कैसे शुरू हुई इसकी कहानी भी बेहद दिलचस्प है.

सिरमौर जिले की अनूठी प्रथा

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, यह जिला है हिमाचल प्रदेश का सिरमौर. यहां शुरुआत में महिला पहले एक पुरुष के लिए ब्याह कर आती है लेकिन बाद में अन्य भाई भी उसके पति हो जाते हैं और हैरानी की बात ये है कि किसी भी पति को एक-दूसरे से कोई आपत्ति नहीं होती.

इस प्रथा को जोड़ीदारां प्रथा कहा जाता है. जोड़ीदारां यानी जॉइंट शादी. अगर एक शख्स के 5 या उससे अधिक भाई हैं तो उसकी पत्नी  उन सभी की पत्नी हो जाएगी. इसमें महिला की रजामंदी मायने नहीं रखती, जिले के रिवाज के तहत उसे सभी भाइयों को अपना पति बनाना ही पड़ता है.

आखिर क्यों शुरू हुई यह प्रथा
यहां के लोग बताते हैं कि यहां गरीबी बहुत ज्यादा थी. परिवार की जमीन और घर ज्यादा लोगों में न बंटे इसलिए इस प्रथा की शुरुआत हुई. घर के सभी पुरुष एक ही महिला से काम चला लेते हैं. यहां के रहने वाले कुंदन सिंह शास्त्री बताते हैं कि पांडवों का कुछ समय के लिए इस क्षेत्र के आसपास रहना हुआ था. वही संस्कार हाटी समुदाय में आ गए. बता दें कि यह प्रथा सिरमौर जिले के हाटी समुदाय में प्रचलित है.

बारी-बारी से पत्नी के साथ सोता है पति
अगर किसी महिला के 5 पति हैं तो पत्नी के साथ संबंध बनाने के लिए उन्हें अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है. यहां की एक स्थानीय महिला जो तीन पतियों की पत्नी है ने बताया कि सभी पतियों का टाइम फिक्स रहता है. जब एक जाता है तो एक आता है और जब वह एक के साथ रहती है तो कोई दूसरा कमरे में अंदर नहीं आ सकता. सिरमौर जिले के साढ़े तीन सौ से ज्यादा गांव में जहां भी हाटी समुदाय है, वहां यह परंपरा कई पीढ़ियों से चली आ रही है.

बदलते वक्त से साथ बदल रहा चलन
हालांकि, अब यह प्रथा अपने पतन की ओर है. यहां की नौजवान शिक्षित पीढ़ी इस प्रथा को अपनाने से बच रही है. जब एक स्थानीय शख्स से पूछा गया कि क्या वे अपनी बेटियों को भी इस प्रथा को निभाने को कहेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई दुविधा तो नहीं है लेकिन उन पर किसी तरह का दबाव नहीं होगा, किसी से जबरदस्ती नहीं होगी.