अनाज की मंडी से लेकर हुस्न के बाजार तक... हैरान कर देगी पाकिस्तान के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया की कहानी
Pakistan Red Light Area: पाकिस्तान के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया की कहानी हैरान करने वाली है. इस कहानी में इमोशन से लेकर ड्रामा तक है. इसका इतिहास मुगलकाल से होते हुए अंग्रेजों के शासन तक की कहानी बयां करता है. एक कहानी ऐसी कि पाकिस्तान की कुछ नामचीन हस्तियां इसी रेड लाइट एरिया से लाइमलाइट तक का सफर तय किया है.
Pakistan Red Light Area: लाहौर किले से चंद कदमों की दूरी पर अनाज की एक मंडी जो बाद में वेश्यावृति के लिए अपनी पहचान बना ली. इस अनाज की मंडी का नाम सिख महाराजा रणजीत सिंह के मंत्री हीरा सिंह के नाम पर रखा गया था. अनाज की मंडी के बीच जब यहां तवायफों के कोठे खुलने लगे तो महाराजा रणजीत सिंह ने इसे बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन ऐसा हो नहीं हो पाया. सुबह के वक्त अनाज के ढेर में दिखने वाली ये मंडी शाम को हुस्न के बाजार से सज जाती थी.
आप इस हीरामंडी को सिर्फ तवायफों के कोठों तक सीमित मत समझिएगा. ये वो इलाका है, जहां से पाकिस्तान की कई नामचीन हीरोइन तक निकलीं हैं. इनमें बाबरा शरीफ आलिया, फिरदौस बेगम, नादिरा बेगम, नीली, अंजुमन बेगम शामिल हैं. इनके अलावा, गायकी की बात की जाए तो अझारा जहां, साएमा जहां, माला, शामीन बेगम जैसी गायिकाएं इसी हीरामंडी की देन हैं.
आखिर हीरामंडी के बंद हो होने की क्या है कहानी?
कहा जाता है कि 2010 में यहां दो बम ब्लास्ट हुए थे. इस साल तक हीरामंडी में जो कुछ थोड़े बचे हुए तवायफों के कोठे थे, जहां मुजरा और हुस्न का दीदार होता था, वो बम ब्लास्ट के बाद बिलकुल बंद हो गया. इसके अलावा, यहां की कुछ बड़ी तवायफों ने भी इस पेशे से दरकिनार होने के लिए बड़ी मुहीम चलाई. पाकिस्तानी लेखिका अहमद बशीर के मुताबिक, कुछ तवायफों ने बड़ा कदम उठाते हुए म्यूजिकल ग्रुप बनाया और इस पेशे से तौबा कर लिया.
लाहौर के बीचोंबीच मौजूद हीरामंडी का अस्तित्व भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले का है. यहां करीब 300 कमरे थे, जहां 50 के दशक में रोजाना रात 10 बजे से तीन घंटे यानी देर रात 1 बजे तक मुजरा चलता था. हीरामंडी के स्थानीय लोगों की मानें तो यहां के हुस्न के बाजार के बंद होने के बाद कई लोग बेरोजगार हो गए. लेकिन अभी भी लाहौर समेत पाकिस्तान के अन्य इलाकों में इस तरह की महफिलें अभी भी सजती हैं.
आखिर मुजरा से रेड लाइट एरिया में कैसे तब्दील हो गया हीरामंडी?
कहा जाता है कि जब भारत (तब पाकिस्तान भी भारत का हिस्सा था) पर अंग्रेजों का राज था, तब अंग्रेजों ने जबरदस्ती मुजरा करने वाली तवायफों से प्रॉस्टिट्यूशन करना शुरू कर दिया, जिसके बाद कई तवायफों को इस काले धंधे में मजबूरन उतरना पड़ा.
हीरामंडी की आज की क्या है तस्वीर?
पाकिस्तान के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया के रूप में पहचान बनाने वाली हीरामंडी में तवायफों के कोठों को बंद हुए कुछ साल हो गए. फिलहाल, यहां म्यूजिक इंस्ट्यूमेंट्स की काफी दुकानें हैं. ये इलाका काफी तंग है. छोटी-छोटी गलियों से कई रास्ते गुजरते हैं, जो पुराने कोठों से होते हुए शहर के अलग-अलग रास्तों में निकलते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुगलकाल में यहां शासकों की दासियां रहा करती थीं, लिहाजा इसे शाही मोहल्ला भी कहा जाता था. कहा जाता है कि बड़े घरानों के बच्चे कभी-कभी इस इलाके में म्यूजिक सीखने भी आते थे.
हीरामंडी पर शॉट फिल्म बना चुके पाकिस्तानी राइटर इबादुक हक के मुताबिक, यहां लंबी-लंबी तंग गलियों में दोनों ओर घर हुआ करती थीं. इनमें हमेशा म्यूजिक और घूंघरू की आवाजें गूंजती रहती थीं. एक अन्य पाकिस्तानी राइटर रिफत ओरकाजी के मुताबिक, 80 और 90 के दशक में ये इलाका काफी फेमस हुआ था. मुजरा से लेकर हुस्न के दीदार के प्यासों के लिए ये जगह प्यास बुझाने की सबसे मुफीद जगहों में से एक थी. अब यहां की कुछ पुरानी बिल्डिंग को गिराकर मार्केट बना लिया गया है. जहां म्यूजिक इंस्ट्यूमेट्ंस के अलावा, अन्य सामानों की दुकान है. खाने पीने के कई सारे स्टॉल भी खुल गए हैं.