महाराष्ट्र में आज उस समय हड़कंप मच गया, जब सत्तारुढ़ गठबंधन एनसीपी के विधायक और डिप्टी स्पीकर नरहरि झिरवाल ने महाराष्ट्र मंत्रालय की तीसरी मंजिल से छलांग लगा दी. इस दौरान वह नीचे सुरक्षा जाल में फंस गए. मौके पर मौजूद पुलिस ने उन्हें सुरक्षित जाल से निकाल लिया. लेकिन घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो गया.
#WATCH | NCP leader Ajit Pawar faction MLA and deputy speaker Narhari Jhirwal jumped from the third floor of Maharashtra's Mantralaya and got stuck on the safety net. Police present at the spot. Details awaited pic.twitter.com/nYoN0E8F16
— ANI (@ANI) October 4, 2024
सत्तारूढ़ गठबंधन के सबसे वरिष्ठ आदिवासी विधायकों में से एक नरहरि जिरवाल समेत 2 आदिवासी विधायक आज मंत्रालय में लगाए गए सुरक्षा जाल पर कूद गए. जिरवाल के साथ-साथ भाजपा सांसद हेमंत सावरा, विधायक किरण लहामाटे, हीरामन खोसकर और राजेश पाटिल भी उनके साथ सुरक्षा घेरे पर कूद पड़े. यह सभी पीईएसए (पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्र का विस्तार)) के तहत अधिसूचित अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों की नियुक्ति बंद करने व विधानसभा चुनाव से पहले धनगरों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रहे थे.
VIDEO | Maharashtra Assembly Deputy Speaker Narhari Sitaram Zirwal jumped from the third floor of #Mantralaya building. He was saved by the safety net. Zirwal drastic action came amidst ongoing protest against the ST (Scheduled Tribe) reservation demanded by the Dhangar… pic.twitter.com/AofmgIwbz3
— Press Trust of India (@PTI_News) October 4, 2024
CM एकनाथ शिंदे दोपहर के बाद विधायकों को बैठक में शामिल होने के लिए बुलाने वाले थे, जिससे की इन मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया जाए. जैसे ही विधायकों के जाल में गिरने की घटना का पता चला वैसे ही मौके पर पुलिस ने विधायकों को जाल से सुरक्षित बाहर निकाल लिया. इसके बाद वह मंत्रालय परिसर में धरने पर जा बैठे. आदिवासी विधायक पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) (पेसा) अधिनियम 1996 के तहत सरकारी नौकरियों में आदिवासियों की भर्ती की मांग को लेकर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि अक्टूबर 2023 से पेसा के तहत 17 विभिन्न श्रेणियों में आदिवासियों की भर्ती की प्रक्रिया राज्य सरकार के स्तर पर ठप पड़ी हुई है.
विधायकों ने यह भी जानकारी दी कि बीते कुछ महीनों में शिक्षकों, वन रक्षकों, राजस्व व स्वास्थ्य विभाग में कई पदों पर भर्तियां की गई. जबकि गैर-आदिवासी उम्मीदवारों ने नियुक्ति पत्र हांसिल कर लिए है या उन्हें नियुक्ति पत्र दिए गए हैं, लेकिन जिन आदिवासी उम्मीदवारों के लिए पेसा में पद आरक्षित थे, उन्हें अभी तक नौकरी नहीं मिली. वहीं मामले में अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि "पेसा के तहत आदिवासी छात्रों की नियुक्ति की गई थी, लेकिन बाद में उन्हें उन्हें पूर्णकालिक नियुक्ति नहीं मिली. छात्रों ने सीएम शिंदे से मुलाकात का भी प्रयास किया. ऐसे में वे सीएम से नहीं मिल पाए। इसलिए उन्हें आक्रामक रुख अपनाना पड़ा। शुक्रवार को वह सीएम से मिले, लेकिन वे उनके जवाब से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए वे नेट पर कूद गए. पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया. तकरीबन 15 से 16 आदिवासी विधायक मंत्रालय में थे और उनमें से कुछ नेट पर कूद गए.