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India Daily

'टॉक्सिक मैनेजर और वर्कप्लेस ने ली दोस्त की जान, कुछ दिन पहले किया था स्विच', मुंबई के शख्स के दावे से हिला लिंक्डइन

सोशल मीडिया प्लेटफार्म लिंक्डइन पर अब वायरल हो रही एक पोस्ट में, मुंबई के एक व्यक्ति ने अपने दोस्त की अचानक मौत के लिए एक कंपनी और उसके एक मैनेजर पर गंभीर आरोप लगाए हैं. यह घटना वर्क प्लेस पर तनाव, जवाबदेही और कर्मचारी कल्याण के मुद्दों को उजागर करती है.

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Edited By: Mayank Tiwari
Mumbai man's LinkedIn post went viral
Courtesy: Social Media

महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी मुंबई में हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक युवक की अचानक मौत ने ऑफिस में टॉक्सिक माहौल की गंभीर समस्या को उजागर किया है. इस दौरान मृतक के दोस्त ने कंपनी और उसके मैनेजर पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि ज्यादा काम के तनाव ने उनके दोस्त की जान ले ली. यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है और वर्कप्लेस पर कर्मचारियों की मानसिक सेहत को लेकर बहस छिड़ गई है.

लिंक्डइन पोस्ट ने खोली सच्चाई

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आशीष विश्वकर्मा ने लिंक्डइन पर एक मार्मिक पोस्ट में अपने सबसे करीबी दोस्त पराग होनमुखे की मृत्यु की खबर शेयर की. पराग की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई, जो मुंबई की एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी में केवल दो महीने पहले शामिल हुए थे. विश्वकर्मा ने लिखा, "कल रात, मैंने अपने सबसे अच्छे दोस्त पराग होनमुखे को अचानक दिल के दौरे के कारण खो दिया. वह अपने करियर की शुरुआत कर रहा था और हाल ही में एक कंपनी में शामिल हुआ था, लेकिन वर्कप्लेस पर ज्यादा टॉक्सिक माहौल होने के चलते मानसिक और शारीरिक असर दिखने लगा था.

असहनीय दबाव और तनाव का शिकार

विश्वकर्मा ने बताया कि पराग ने निजी तौर पर अपने दोस्तों के साथ कंपनी के असहनीय माहौल और अपने मैनेजर की ओर से बनाए गए तनावपूर्ण वातावरण की बात शेयर की थी. उन्होंने कहा, "उसने हमारे करीबी समूह के साथ बताया कि दबाव कितना असहनीय हो गया था, कैसे वह रोज़ाना उत्पीड़न और अवास्तविक अपेक्षाओं के तले जूझ रहा था. वह मजबूत रहने की कोशिश कर रहा था, लेकिन तनाव उसे तोड़ रहा था. कोई भी वर्कप्लेस पर ऐसा महसूस करने का हकदार नहीं है.

कंपनी और मैनेजर पर उठे सवाल

विश्वकर्मा ने न केवल मैनेजर, बल्कि कंपनी की वर्क कल्चर पर भी सवाल उठाए. उन्होंने लिखा, "वर्कप्लेस में टॉक्सिक मैनेजर अकेले नहीं पनपते; वे उन व्यवस्थाओं में फलते-फूलते हैं जो इस व्यवहार को अनियंत्रित होने देती हैं. काम की कीमत जिंदगी नहीं होनी चाहिए. अगर आप भी ऐसी वर्क कल्चर में जूझ रहे हैं, तो बोलें. और अगर आप एचआर, नेतृत्व या प्रबंधन में हैं, तो याद रखें: आप लोगों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, यह मायने रखता है." उन्होंने अंत में कहा, "मेरे दोस्त को बेहतर डिजर्व था. हर कोई डिजर्व करता है."

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

विश्वकर्मा की पोस्ट ने ऑनलाइन तीखी प्रतिक्रियाएं बटोरीं. कई यूजर्स ने उनके दावों का समर्थन किया. जिसमें एक यूजर ने लिखा, "पूरी तरह सहमत, आशीष विश्वकर्मा. मैं भी उसी मैनेजर के अधीन उसी कंपनी में था. मैंने उनके कारण नौकरी छोड़ दी. जबकि," एक अन्य यूजर ने कहा, "यह बेहद दुखद है. अल्ताफ सलीम की खराब प्रबंधन शैली और कंपनी में टॉक्सिक माहौल ने यह हादसा कराया. पराग के परिवार के प्रति संवेदनाएं. उनकी आत्मा को शांति मिले और न्याय हो."

कर्मचारी सुरक्षा की उठने लगी मांग

कई यूजर्स ने कर्मचारियों के लिए बेहतर सुरक्षा कानूनों की मांग की. एक यूजर ने लिखा, "मुझे उम्मीद है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेगी और उत्पीड़ित कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए कानून बनाएगी. हालांकि, कुछ ने मैनेजर को दोष देने से इनकार किया. एक यूजर ने कहा, "पराग के लिए संवेदनाएं, लेकिन मैनेजर को दोष देना ठीक नहीं. मैनेजर भी कर्मचारी है, कंपनी का मालिक नहीं. बिना कारण जाने आरोप लगाना आसान है.