कमाल कर दिया! माउंट एवरेस्ट पर पहली बार 19,685 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा ड्रोन, पूरी की डिलीवरी
Mount Everest Drone Video: माउंट एवरेस्ट पर 19,685 फीट की ऊंचाई पर पहली बार ड्रोन पहुंचा है. ड्रोन ने इतनी ऊंचाई पर पहुंचकर डिलीवरी की और बेस कैंप तक वापस सुरक्षित लौट भी आया. ड्रोन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है.
Mount Everest Drone Video: माउंट एवरेस्ट पर 19,685 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की पहली ड्रोन डिलीवरी पूरी हुई है. ड्रोन 33 पाउंड (15 किलोग्राम) सामान ले जाने में सक्षम था. ऊंचाई पर जाने के बाद ड्रोन के जरिए वहां मौजूद कचरे को वापस बेस कैंप तक भेजा गया.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीजेआई के फ्लाईकार्ट 30 ड्रोन के जरिए 3 ऑक्सीजन की बोतलें और तीन पाउंड (1.5 किलोग्राम) अन्य आपूर्ति ले जाई. इसे एवरेस्ट बेस कैंप से उड़ाया गया, जो समुद्र तल से 17,389 फीट (5,300 मीटर) ऊपर है. ड्रोन को बेस कैंप से कैंप-1 तक भेजा गया था, जो समुद्र तल से 19,685 फीट (6,000 मीटर) ऊपर है.
माउंट एवरेस्ट से वापसी के दौरान ड्रोन से कचरा भी बेस कैंप तक भेजा गया. बेस कैंप और कैंप-1 के बीच खुम्बू पड़ता है, जो चढ़ाई के सबसे खतरनाक माना जाता है. डीजेआई की सीनियर कॉर्पोरेट स्ट्रैटजी डायरेक्टर क्रिस्टीना झांग ने कहा कि अप्रैल के अंत से, हमारी टीम ने एवरेस्ट पर सफाई प्रयासों को अधिक सुरक्षित और कुशल बनाने में मदद करने के लिए एक अभूतपूर्व प्रयास शुरू किया है.
उन्होंने कहा कि हमें ये बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमारा डीजेआई फ्लाईकार्ट 30 इस काम के लिए पूरी तरह से सक्षम है. ड्रोन के जरिए इक्विपमेंट्स, सप्लाई और कचरे को सुरक्षित रूप से परिवहन करने की क्षमता की टेस्टिंग क्रातिकारी बदलाव ला सकती है.
कई टेस्टिंग से गुजरा ड्रोन
हाल के टेस्टिंग्स से पहले, डीजेआई इंजीनियरों को एवरेस्ट की चुनौतियों से बचने के लिए ड्रोन को कई परिस्थितियों से गुज़ारना पड़ा था. इनमें -15 डिग्री से 5 डिग्री सेल्सियस के बीच का तापमान, 33 मील प्रति घंटे (15 मीटर/सेकेंड) तक की हवा की गति और अधिक ऊंचाई शामिल थी. इन परिस्थितियों में, ड्रोन ने अलग-अलग वजन, हवा के प्रतिरोध, कम तापमान और बढ़ते पेलोड के साथ वजन उठाने की क्षमता वाले टेस्टिंग्स पर खरा उतरा.
इससे पहले स्थानीय शेरपा गाइड ही ऊंचाई वाले इलाकों में डिलीवरी करने के साथ-साथ वहां फैले कचरे को साफ करते थे. ऑक्सीजन की बोतलें, गैस कनस्तर, टेंट, भोजन और रस्सियों जैसे सामान को पहुंचाने के दौरान शेरपा गाइड्स को एक मौसम में 30 से अधिक बार हिमपात को पार करना पड़ सकता है.
जान बचाने के लिए ड्रोन की टेस्टिंग!
इमेजिन नेपाल के माउंटेन गाइड मिंगमा ग्यालजे शेरपा ने कहा कि हमें हिमपात के बीच से गुजरते हुए हर दिन 6-8 घंटे बिताने पड़ते हैं. पिछले साल मैंने तीन शेरपाओं को खो दिया. अगर हम भाग्यशाली नहीं हैं, अगर हमारा समय सही नहीं है, तो हम अपनी जान गंवा देते हैं.
खुम्बू हिमपात पर खतरनाक चढ़ाई आमतौर पर रात में होती है, जब तापमान सबसे कम होता है और बर्फ सबसे स्थिर होती है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, डीजेआई के डिलीवरी ड्रोन को शेरपाओं पर से भार कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसका यूज माउंट एवरेस्ट के किनारों को कचरे से मुक्त रखने के लिए भी किया जा सकता है.