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ननों के पेशाब से बनी दवा ने हजारों महिलाओं को बनाया मां, चौंकाने वाला खुलासा

जो महिलाएं विभिन्न कारणों से मातृत्व का अनुभव नहीं कर पातीं, उनके लिए आज कई उपचार उपलब्ध हैं. हालांकि, अतीत में बूढ़ी ननों के मूत्र का उपयोग एक अनोखी चिकित्सा के रूप में किया जाता था, जिसने अनेक महिलाओं को गर्भधारण में सहायता प्रदान की.

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Medicine Nuns of Urine: महिलाओं की प्रजनन समस्याओं के इलाज के लिए आज कई आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब बूढ़ी ननों के पेशाब से बनने वाली दवा को संतान प्राप्ति के लिए ‘अमृत’ माना जाता था. इस अनोखी दवा ने हजारों महिलाओं को मां बनने का सुख दिया. आइए जानते हैं इस अविश्वसनीय लेकिन सच कहानी के बारे में.

इटली में हुई थी इस दवा की खोज

आपको बता दें कि 1940 के दशक में इटली के वैज्ञानिक पायरो डोनिनी ने एक महत्वपूर्ण खोज की. उन्होंने पाया कि एलएच (LH) और एफएसएच (FSH) हार्मोन महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. ये हार्मोन उन महिलाओं के शरीर में अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जिनका मेनोपॉज (रजोनिवृत्ति) हो चुका होता है. इस खोज के बाद डोनिनी ने इन हार्मोनों का इस्तेमाल कर एक दवा तैयार की, जिसे "परगोनाल" (Pergonal) नाम दिया गया.

बड़ी मात्रा में पेशाब इकट्ठा करना था चुनौती

बता दें कि इस दवा को बड़े पैमाने पर तैयार करने के लिए हजारों लीटर पेशाब की जरूरत थी. कई सालों तक इस समस्या का समाधान नहीं निकल सका. 1950 के दशक में एक यहूदी वैज्ञानिक ब्रूनो लूननफेल्ड को इस शोध के बारे में पता चला और उन्होंने इसे आगे बढ़ाने का फैसला किया. लेकिन चुनौती अब भी वही थी – इतनी बड़ी मात्रा में पेशाब कहां से लाया जाए?

पोप ने बढ़ाया मदद का हाथ

इस दवा की संभावनाओं को देखते हुए एक दवा कंपनी ने इसमें रुचि दिखाई, लेकिन पेशाब की आपूर्ति एक बड़ी समस्या बनी रही. तभी वेटिकन (ईसाई धर्मगुरु पोप का मुख्यालय) के एक सदस्य गिउलियो पेसेली ने मदद की पेशकश की. उन्होंने बताया कि उनके चाचा, पोप पायस, इसे एक पवित्र उद्देश्य मानते हैं और वे इटली के वृद्धाश्रमों में रहने वाली ननों से पेशाब इकट्ठा करने की अनुमति देंगे. इसके बाद इटली के कई वृद्धाश्रमों से टैंकरों में भरकर ननों का पेशाब लैब तक पहुंचाया जाने लगा.

पहली बार इस दवा से पैदा हुआ बच्चा

वहीं1962 में इस दवा का पहला सफल प्रयोग हुआ. इज़राइल की एक महिला ने परगोनाल की मदद से एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया. इसके बाद यह दवा तेजी से लोकप्रिय होने लगी और 1970 तक अमेरिका सहित कई देशों में इसका उपयोग किया जाने लगा.

पुरुषों के लिए भी बना इलाज

इसके अलावा, 1982 में इस दवा को पुरुषों की प्रजनन समस्याओं के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा. यह उन पुरुषों के लिए कारगर साबित हुई जिनमें शुक्राणु निर्माण की समस्या थी. हजारों पुरुषों को इस दवा से पितृत्व सुख प्राप्त हुआ.

बहुत अधिक बच्चों के जन्म से विवाद

परगोनाल दवा के कारण कभी-कभी एक बार में एक से अधिक बच्चे जन्म लेने लगे. 1985 में अमेरिका की एक महिला ने एक साथ सात बच्चों को जन्म दिया. इसके बाद उन्होंने अस्पताल और डॉक्टरों पर केस कर दिया और करीब 22 करोड़ रुपये का मुआवजा जीता.

अब ननों के पेशाब की जरूरत नहीं

बता दें कि 1980 के दशक तक इस दवा की मांग इतनी बढ़ गई कि रोज़ाना 30,000 लीटर पेशाब की जरूरत पड़ने लगी. यह असंभव था, इसलिए वैज्ञानिकों ने लैब में कृत्रिम रूप से ये हार्मोन बनाना शुरू किया. 1995 में पहली बार लैब में बनी दवा "गोनाल-एफ" को मंजूरी मिली और इसके बाद ननों के पेशाब की जरूरत हमेशा के लिए खत्म हो गई.

बहरहाल, आज विज्ञान बहुत आगे बढ़ चुका है, लेकिन बूढ़ी ननों के पेशाब से बनी दवा की यह अनोखी दास्तान इतिहास का एक अविश्वसनीय अध्याय है. इस दवा ने हजारों महिलाओं को संतान सुख दिया और विज्ञान की दुनिया में एक अनोखी क्रांति लेकर आई.