Malana Village in Himachal Pradesh: हमारा देश संविधान से चलता है. देश के हर कोने में संविधान लागू है. देश के हर नागरिक, हर स्थान. हर जिले, गांव मोहल्ले में भारत का संविधान लागू होता है. अब इसके आगे वाली लाइन पर आपको एतराज हो सकता है. देश के एक गांव में संविधान लागू नहीं होता है. इस गांव के लोगों का खुद का अपना संविधान हैं. आज कहानी भारत के उसी गांव की जो अपने कानून और नियमों से चलता है. इस गांव की अपनी संसद है.
हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वो गांव हिमाचल प्रदेश में पड़ता है. यह गांव बेहद दुर्गम इलाकों में बसा हुआ है.यहां पहुंचने के लिए कुल्लू से 45 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ेगी.
जिस गांव में देश का संविधान नहीं चलता उसका नाम मलाणा है. कुल्लू से मणिकर्ण रूट से कसोल होते हुए इस गांव में जाया जा सकता है. इस गांव में पहुंचना आसान नहीं है. इस गांव तक जाने के लिए हिमाचल परिवहन बस निगम सिर्फ एक ही बस चलाता है. देश का हिस्सा होने के बावजूद इस गांव का अपना संविधान, अपनी संसद है. संसद में दो सदन है. पहली ज्योष्ठांग (ऊपरी सदन) दूसरी कनिष्ठांग (निचली सदन).
गांव के सभी फैसले इसी संसद में लिए जाते हैं. मलाणा गांव के नियम-कायदे और कानून बहुत ही रहस्यमयी और अलग हैं. अगर आप इस गांव घूमने जाना चाहते हैं तो एक बात ध्यान रखिएगा यहां आप रुक नहीं सकते हैं. इस गांव में कनाशी भाषा बोली जाती है.