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Fact Check: मदरसों पर मेहरबान है केरल सरकार, लुटा रही अरबो रुपये! जानिए आखिर क्या है वायरल मैसेज की सच्चाई, दावा सही या गलत?

Viral Message Madrasa Kerala Fact Check: सोशल मीडिया पर केरल के मदरसों को लेकर सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है. यह मैसेज 2021 का है. इस वायरल मैसेज मे ये दावा किया जा रहा है कि केरल सरकार हर साल मदरसों पर अरबों रुपये खर्च करती है. आइए फैक्ट चेक में इस दावे की सच्चाई को जानते हैं

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Edited By: Gyanendra Tiwari
 Madrasa Kerala Viral Message Fact Check Know what is truth
Courtesy: Social Media

Viral Message Madrasa Kerala Fact Check: भारत में 6 से 14 साल के सभी बच्चों को मुफ्त  और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है. 86वां संविधान संशोधन करके 2002 में इसे अनुच्छेद 21 (A) के तहत जोड़ा गया था. इसके साथ भारत के संविधान ने देश के नागरिकों को कई मौलिक अधिका भी दिए हैं. भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों की बात कही गई हैं. इसमें अनुच्छेद 29 और 30 में अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार है. अलग-अलग राज्यों में अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए हैं. इन्हीं में से एक है केरल. 2021 का एक वायरल मैसेज फिर से वायरल हो रहा है. इस वायरल मैसेज में ये दावा किया जा रहा है कि राज्य सरकार मदरसे पर मेहरबान है और हर साल अरबों-खरबों रुपये मदरोसं पर लुटा रही है. आइए जानते हैं कि आखिर केरल में मदरसों पर कितना खर्च हो रहा है और कितने मदरसे हैं.  एक रिपोर्ट के अनुसार केरल की जनसंख्या 3,56,99,443 है  इसमें मुस्लिम आबादी 88,73,472 जो पूरी जनसंख्या का लगभग 26 फीसदी है. आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है.

केरल में कितने मदरसे और कितने शिक्षक

वायरल मैसेज में ये दावा किया जा रहा था कि केरल में 21,683 मदरसे हैं और हर पंचायत में 23 मदरसे हैं.  लेकिन फैक्ट चेक में पता चला कि केरल की 942 पंचायतों में कुल 27,814 मदरसें हैं. यानी एक पंचायत में 29 मदरसें. वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की मानें तो केरल के मदरसों में लगभग 2.5 लाख टीचर हैं. इन्हें मदरसा संचालित करने वाले संगठनों द्वारा नियुक्त किया जाता है. इन शिक्षकों का वेतन संबंधित मस्जिद समितियों द्वारा दिया जाता है.

मदरसों के शिक्षकों को पेंशन सरकार नहीं देती 

वायरल मैसेज में दावा किया गया कि केरल के मदरसों को पेंशन सरकार की ओर से दी जाती है.  वायरल मैसेज के अनुसार पिनराई सरकार पेंशन पर हर महीने 120,00,00,000 रुपये खर्च करती है जो कि पूरी तरह से गलत है. इसमें ये भी दावा किया गया कि मदरसों के शिक्षकों की सैलरी पर 511,70,75,000 रुपये हर महीने खर्च होता है. ये फैक्ट भी गलत है. 

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार  वर्तमान में 1,800 मदरसा शिक्षकों को 1,500 से 2,700 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाती है.  पांच साल तक 50 रुपये फीस देने वाले शिक्षक को 1,500 रुपये और 10 साल तक 2,250 रुपये पेंशन मिलती है. केरल में 2.25 लाख मदरसा शिक्षक हैं, लेकिन केवल 28,000 ही अंशदायी पेंशन योजना में शामिल हुए हैं. बोर्ड सदस्यों को आवास ऋण और विवाह तथा चिकित्सा उपचार जैसी अन्य सहायता देता है.

सरकार बोली मदरसों को हम नहीं करते फंडिंग

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन 28 जुलाई 2021 को विधानसभा में कहा था कि उनकी सरकार  मदरसा शिक्षकों पर अपने वित्तयी कोष से एक भी रुपये नहीं खर्च कर रही है. वर्ष 2010 में राज्य सरकार ने कल्याण कोष के लिए 10 करोड़ रुपए आवंटित किए थे. मदरसा शिक्षक और प्रबंधन की ओर से हर महीने 50 रुपए का अंशदान तय किया गया था. वर्ष 2012 में विभिन्न मुस्लिम संगठनों की मांग के अनुसार जमा राशि को ब्याज मुक्त बनाने के लिए बैंकों से राज्य के खजाने में स्थानांतरित कर दिया गया था. वर्ष 2015-16 में राज्य सरकार ने राज्य के खजाने में ब्याज मुक्त जमा के लिए प्रोत्साहन के रूप में 3.75 करोड़ रुपए आवंटित किए थे. फिर वर्ष 2021 में मदरसा बोर्ड को राज्य सरकार की ओर से ब्याज मुक्त जमा के लिए प्रोत्साहन के रूप में 4.16 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धन मिला था. वर्तमान में बोर्ड के पास मौजूदा भुगतान मांगों को पूरा करने के लिए खजाने में 12 करोड़ रुपए जमा हैं. 

राज्य सरकार की ओर से मदरसा बोर्ड के शिक्षकों के लिए 2018-19 में कल्याण कोष बोर्ड का गठन किया था.  बोर्ड में सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और एक मुख्य परिचालन अधिकारी होता है जो प्रतिनियुक्ति पर सरकारी कर्मचारी होता है.  बोर्ड में 18 सदस्य होते हैं, जिनमें शिक्षकों और विभिन्न मदरसा बोर्ड प्रबंधन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं.

2021 में मुख्यमंत्र विजयन ने कहा कि मदरसा कोष के संचालन में किसी भी प्रकार की कठिनाई आने पर सरकार हरसंभव सहायता प्रदान करेगी. 

केरल में कैसे चलते हैं मदरसे?

केरल में मदरसा शिक्षा का प्रबंधन सुन्नी गुटों और मुजाहिद जैसे विभिन्न मुस्लिम समूहों से जुड़े संगठनों द्वारा किया जाता है. इनमें से प्रमुख हैं केरल इस्लाम मठ विद्याभ्यास बोर्ड और केरल सुन्नी विद्याभ्यास बोर्ड. इन बोर्डों के तत्वावधान में कई मदरसे हैं, और ये पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकें तैयार करने, पढ़ाने, परीक्षा आयोजित करने, प्रमाण पत्र जारी करने आदि जैसे कार्यों की देखरेख करते हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की एर रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम प्रबंधन के तहत कुछ CBSE बोर्ड के स्कूलों में भी मदरसा शिक्षा दी जाती है. अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों का एक वर्ग अंग्रेजी माध्यम के मदरसे चला रहा है, जो किसी न किसी मदरसा शिक्षा बोर्ड से संबद्ध भी हैं.

फैक्ट चेक मे फेक नहीं निकला वायरल मैसेज

2021 में कई फैक्ट चेक संस्थानों ने इस वायरल दावे का फैक्ट चेक किया था. फैक्ट चेक में यह वायरल दावा गलत साबित हुआ था. सरकार का मदरसा बोर्ड से कोई लेना देना नहीं है. मदरसा बोर्ड का अपना संगठन हैं जो उसी की फंडिंग से चलते हैं. 2021 में मुख्यमंत्री पिनरई ने बताया था कि सरकार की ओर से मदरसों को कोई पैसा नहीं दिया जाता. 

मदरसों को बंद करने के लिए लिखी चिट्ठी

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अक्टूबर महीने में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सिफारिश की थी कि मदरसा बोर्डों को बंद कर दिया जाए. मदरसों और मदरसा बोर्डों को राज्य द्वारा दिया जाने वाला पैसा भी बंद कर दिया जाए. मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को आम स्कूल या सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया जाए.