Hajj And Umrah: इस्लाम धर्म में हज यात्रा को काफी महत्व दिया जाता है. कहा जाता है कि मुसलमान को जीवन में एक बार पवित्र मक्का की तीर्थयात्रा यानी हज पर जरूर जाना चाहिए. हज के अलावा, एक शब्द का जिक्र आता है, जिसमें उमरा कहा जाता है. क्या आपको उमरा के बारे में पता है? आइए, हम आपको बताते हैं कि हज और उमरा दोनों एक दूसरे से कितना अलग है.
उमरा, एक छोटी तीर्थयात्रा की तरह है. उमरा इस्लामिक कैलेंडर के दौरान किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन हज केवल ज़िलहिज्जा के महीने के दौरान किया जा सकता है. जब कोई मुसलमान उमरा करेगा, तो अपना तवाफ और सई भी करेगा.
तवाफ का मतलब काबा के चारों ओर चक्कर लगाना है. एक तवाफ 7 सर्किटों से बना होता है, जो काले पत्थर पर शुरू और समाप्त होता है. इस दौरान तवाफ करने वाले अल्लाह से अपनी और सबकी सलामती की दुआ करते हैं. तवाफ करने के बाद, मुस्लिम को सई भी करना होता है.
सई का मतलब, सफा और मारवा की दो पहाड़ियों के बीच चलना और दौड़ना होता है. जब को मुसलमान सफा पर सई शुरू करता है और मारवा की ओर चलता है. तब उसे हरे रंग का एक प्वाइंट दिखता है, जहां पहुंचने के बाद अगले हरे रंग के प्वाइंट तक दौड़ना होता है. इस प्रकार एक चक्कर पूरा होता है. फिर इसी तरह दूसरे चक्कर में सफा लौटना होता है. सफ़ा और मारवा के बीच कुल 7 चक्कर लगाने के बाद सई पूरी हो जाती है.
ये पैगंबर इब्राहिम की पत्नी हजर और उनके बेटे पैगंबर इस्माइल के लिए पानी की तलाश में रेगिस्तान में उनके संघर्ष की याद में किया जाता है. सई उस संघर्ष का प्रतीक है जिसका सामना हम जीवन भर करते हैं, जैसा कि हजर ने खुद अनुभव किया था. एक बार सई पूरी हो जाने पर, पुरुष अपने बाल काट लेंगे या मुंडवा लेंगे, जबकि महिला अपने बालों को अपनी उंगलियों की लंबाई तक क्लिप कर लेगी. इसके बाद उमरा पूरा होता है. ऐसा करने से मुसलमान भाई को जिलहिज्जा की 8 तारीख तक एहराम छोड़ने की अनुमति मिलती है.
हज और उमरा के बीच अन्य अंतर ये है कि तीर्थयात्री मीना, अराफा और मुजदलिफा जाते हैं. वे शैतान को पत्थर मारते हैं और मक्का में ईद अल-अधा मनाते हैं, अपनी कुर्बानी देते हैं. ज़िलहिज्जा के मुबारक दिनों के दौरान, अपनी ज़कात और सदक़ा देते हैं.
उमरा के मुकाबले हज की मान्यता ज्यादा है. हज इस्लाम के 5 पिलर्स (कलमा, नमाज़, रोजा, हज और जकात) में से एक है. हालांकि हज ऐसी चीज नहीं है कि सभी मुसलमानों पर फर्ज है. हज करने से पहले कुछ चीजों का ख्याल रखना होता है, जैसे- आप आर्थिक तौर पर मजबूत हों. आप पर किसी तरह का कोई कर्ज न हो. आप जब हज पर जा रहे हों, तो आपके परिवार के अन्य लोग आर्थिक तौर पर किसी तरह की तंगी का सामना न कर रहे हों. अगर आप पूर्ण रूप से खुशहाल और संपन्न हैं, तभी हज फर्ज होता है.