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फरिश्ते, राक्षस, मौत....पत्रकार ने खोज निकाले स्वर्ग और नर्क के प्रमाण, बोला- पहले मैं नास्तिक था लेकिन...

ली स्ट्रोबेल की यह किताब न सिर्फ अलौकिक घटनाओं की पड़ताल करती है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि क्या मृत्यु के बाद का जीवन वास्तव में है. स्वर्ग की शांति और नर्क की भयावहता को बयां करते ये अनुभव हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि शायद हमारी दुनिया उससे कहीं बड़ी है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Journalist Lee Strobel found evidence of heaven and hell, said- earlier I was an atheist

एक समय नास्तिक रहे ली स्ट्रोबेल, जो पेशे से कानूनी पत्रकार थे, ने दावा किया है कि उन्होंने स्वर्ग और नर्क के अस्तित्व के प्रमाण खोज निकाले हैं. अपनी नई किताब में, स्ट्रोबेल ने फरिश्तों, राक्षसों, मृत्यु के करीब के अनुभवों और अन्य रहस्यमयी अलौकिक घटनाओं की गहराई से पड़ताल की है. उनकी किताब का नाम है सीइंग द सुपरनैचुरल: इन्वेस्टिगेटिंग एंजल्स, डेमन्स, मिस्टिकल ड्रीम्स, नियर-डेथ एनकाउंटर्स, एंड अदर मिस्ट्रीज़ ऑफ द अनसीन वर्ल्ड. इसमें दर्जनों ऐसे अनुभवों का ज़िक्र है, जिन्हें डॉक्टर भी चिकित्सकीय तौर पर समझा नहीं पाए.

मृत्यु के करीब के अनुभवों की रहस्यमयी दुनिया

स्ट्रोबेल ने अपनी किताब में एक मां के अनुभव का वर्णन किया है, जिसने मृत्यु के करीब पहुंचकर एक सफेद सुरंग में वर्जिन मैरी की छवि देखी. वे लिखते हैं, "अचानक एक सुरंग दिखाई दी, और वह खुद को उसकी ओर खिंचता हुआ महसूस करने लगी. उसकी आत्मा छत के पंखे और फिर छत से होकर गुज़री." इस दौरान उस मां ने बताया कि वह प्यार और रोशनी की गहरी अनुभूति से घिरी हुई थी. उसने कहा, "मुझे अपने हर अच्छे-बुरे काम और उनके दूसरों पर प्रभाव दिखाई दिए. यह मेरे लिए मुश्किल वक्त था, लेकिन बिना शर्त प्यार ने मुझे संभाला. मुझे टेलीपैथी से पूछा गया कि क्या मैं रहना चाहती हूं या वापस लौटना चाहती हूं."

एक अन्य हैरान करने वाला मामला एक नेत्रहीन महिला का है, जो 22 साल तक कभी कुछ देख नहीं पाई थी. स्ट्रोबेल लिखते हैं, "विकी नाम की इस महिला का कार हादसा हुआ और उसने खुद को ऊपर से अपनी क्षतिग्रस्त गाड़ी को देखते पाया. बाद में उसने डॉक्टरों को अपने शरीर पर काम करते हुए देखा, जब वह छत की ओर तैर रही थी." चौंकाने वाली बात यह थी कि विकी ने अपने दोस्तों को इन घटनाओं का सटीक वर्णन किया, जबकि उसने उन्हें पहले कभी देखा तक नहीं था.

नर्क का भयावह चेहरा
हालांकि, सभी अनुभव सुखद नहीं थे. उत्तरी केंटकी विश्वविद्यालय के एक नास्तिक प्रोफेसर हॉवर्ड स्टॉर्म ने अपने मृत्यु के करीब के अनुभव को साझा किया, जो एक पेट के अल्सर से उनकी अस्थायी 'मृत्यु' के बाद हुआ. स्ट्रोबेल लिखते हैं, "सब कुछ पहले अच्छा लगा. कुछ रहस्यमयी लेकिन दोस्ताना लोग उसे हॉलवे में ले गए. लेकिन फिर यह सफर मीलों तक चला, और हालात अंधेरे से और गहरे अंधेरे में बदलते गए." अचानक उनके ये 'गाइड' हिंसक हो गए. "उन्होंने उसे धक्का देना, मारना, खींचना, लात मारना और नाखूनों से नोंचना शुरू कर दिया, साथ ही हंसते और गालियां देते रहे."

हॉवर्ड ने इसे "आंतें निकाल देने वाला" अनुभव बताया. स्ट्रोबेल के मुताबिक, हॉवर्ड ने कहा, "कोई हॉरर फिल्म या किताब उनकी क्रूरता को बयां नहीं कर सकती. मेरी एक आंख चली गई, मेरे कान गायब हो गए." इस हमले के बीच हॉवर्ड ने चीखकर कहा, "यीशु, मुझे बचा लो!" तभी एक भूरी रोशनी दिखी और दो हाथ उसे बचाने के लिए नीचे आए.

अलौकिक घटनाओं की पड़ताल
स्ट्रोबेल की किताब में ऐसे कई अनुभव हैं, जिनमें लोग बुरे आत्माओं, शैतानी जादू और यहां तक कि आत्माओं के शरीर में प्रवेश की बात करते हैं. वे कहते हैं कि ये अनुभव उनकी नास्तिक सोच को बदलने का कारण बने. पहले वे अलौकिक चीज़ों को खारिज करते थे, लेकिन इन घटनाओं ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि शायद इस दुनिया से परे भी कुछ है.

वैज्ञानिक भी हैरान
इन अनुभवों ने वैज्ञानिकों को भी चकरघिन्नी में डाल दिया है. खासकर विकी जैसे मामले, जहां एक नेत्रहीन व्यक्ति ने मृत्यु के करीब आकर देखने की क्षमता हासिल की, इसे समझाना मुश्किल है. स्ट्रोबेल का मानना है कि ये घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि हमारी समझ से परे एक अनदेखी दुनिया मौजूद हो सकती है, जो कभी शांतिपूर्ण तो कभी डरावनी हो सकती है.