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खस्तेश्वर, झगड़ेश्वर और कोतवालेश्वर..., क्या आपको पता है मंदिरों के ऐसे नाम की वजह?

Viral Temple Name: भारत में मंदिरों की संख्या हजारों में है. हर मंदिर को अलग-अलग नाम से पहचाना जाता है. बहुत से मंदिरों के नाम अजीब से हैं. मंदिरों के नाम रखने के पीछे भी एक कहानी होती है. आज कहानी कुछ ऐसे मंदिरों की जिनके नाम थोड़ा अजीब हैं. इनके नाम अजीब कैसे पड़े आइए जानते हैं. ये मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर में स्थिति हैं. आइए एक-एक करके इन मंदिरों के नाम के पीछे की कहानी जानते हैं.

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Edited By: India Daily Live
Jhagdeshwar Temple
Courtesy: Viral News

Viral Temple Name:  हमारे देश में हजारों मंदिर हैं. हर मंदिर की एक अलग पहचान और नाम है. मंदिरों के नाम के पीछे की भी एक अलग ही कहानी है. कुछ ऐसे मंदिर भी हैं जिनके नाम बहुत ही अजीब हैं. इन मंदिरों के नाम सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे पूछेंगे कि आखिर इनके नाम कैसे पड़े.

खस्तेश्वर, झगड़ेश्वर और कोतवालेश्वर ये मंदिरों के नाम हैं. आपको इनके नाम थोड़ा अजीब जरूर लगे होंगे. लेकिन इनके नाम के पीछे की भी एक अलग कहानी है. आइए इनके नाम के पीछे की कहानी जानते हैं.

झगड़ेश्वर मंदिर का नाम कैसे पड़ा?

उत्तर प्रदेश के कानपुर में झगड़ेश्वर नाम का एक मंदिर है. इस मंदिर में महादेव विराजमान है. इसे झगड़ेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर के नामकरण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है.

करीब 30 साल पहले इस मंदिर का नाम झगड़ेश्वर इसलिए रखा गया ताकि आस पास के इलाकों में सुख शांति बनी रही. किसी के बीच वाद-विवाद न हो. यह मंदिर कानपुर के कालपी रोड में स्थित है. इस इलाके में पहले बहुत झगड़ा होते थे. लेकिन मंदिर बनने के बाद इस इलाके में झगड़े कम हो गए.    

खस्तेश्वर मंदिर का नाम कैसे पड़ा?

इस मंदिर के नाम के पीछे भी एक अलग ही कहानी है. इस मंदिर का इतिहास 145 साल पुराना है. बताया जाता है कि कानपुर के चावल मंडी में एक खस्ते की दुकान बहुत ही फेमस थी. उनकी दुकान इतनी फेमस हो गई कि लोगों ने इस मंदिर को खस्तेश्वर कहना शुरू कर दिया. खस्ता बनाने वाले

कोतवालेश्वर मंदिर का नाम कैसे पड़ा

कानपुर में कोतवालेश्वर नाम का एक मंदिर है. इस मंदिर में भी भगवान शिव की पूजा होती है. इसके नाम के पीछे की भी एक कहानी है. रिपोर्ट्स के अनुसार चौक इलाके में पहले कोतवाली थी. बाद में इसे बड़ा चौराहे के पास शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन चौक में जिस जगह पर कोतवाली थी वहीं पर भगवान शिव का मंदिर बना. पहले कोतवाली होने की वजह से इस मंदिर का नाम कोतवालेश्वर रख दिया गया.