ग्राम प्रधान को 2 से अधिक बच्चे होने पर किया बर्खास्त, चुनाव में छिपाई थी तीसरे बच्चे की जानकारी
हरिद्वार के बहादराबाद ब्लॉक के एक गांव की प्रधान को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया है. आरोप है कि पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने तीसरे बच्चे की जानकारी छिपाई थी. चुनाव में उनकी जीत के बाद उनके खिलाफ शिकायत की गई थी. जांच में आरोपों के सही पाए जाने के बाद उन्हें उत्तराखंड पंतायती राज अधिनियम 2016 के तहत ग्राम प्रधान के पद से बर्खास्त कर दिया गया.
हरिद्वार के एक गांव की प्रधान को दो से अधिक बच्चे होने पर पद से बर्खास्त कर दिया गया. मामला बहादराबाद ब्लॉक के नगला खुर्द गांव का है. यहां की ग्राम प्रधान रेशमा के खिलाफ दो बच्चों की नीति का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. शिकायत मिलने के बाद ग्राम प्रधान रेशमा को नोटिस दिया गया, लेकिन उन्होंने इस संबंध में कोई जवाब नहीं दिया. इसके बाद उन्हें 27 अगस्त को उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 के तहत उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय की ओर से बताया गया है कि बहादराबाद ब्लॉक के नगला खुर्द में एक ग्राम प्रधान को सरकार की दो-बच्चे नीति का उल्लंघन करने के कारण उसके पद से हटा दिया गया है. जिला मजिस्ट्रेट ने ग्राम प्रधान रेशमा के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद जांच शुरू की थी. जांच में पाया गया कि रेशमा के तीसरे बच्चे का जन्म सितंबर 2019 में हुआ था.
तीसरे बच्चे की जानकारी के बाद उन्हें ग्राम प्रधान के पदसे हटाने के संबंध में नोटिस जारी किया गया. नोटिस मिलने के बावजूद रेशमा की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया, जिसके बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया.
2022 में चुनी गईं थी ग्राम प्रधान
रेशमा 2022 के पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान चुनी गई थीं. हालांकि, सितंबर 2023 में उनके गांव के ही रहने वाले एक शख्स ने उन पर दो बच्चों की नीति का उल्लंघन करने और अपने तीसरे बच्चे के बारे में झूठे दस्तावेज जमा करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई. हरिद्वार के डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने जांच शुरू की, जिसमें पुष्टि हुई कि उनके तीसरे बच्चे का जन्म सितंबर 2019 में हुआ था.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेशमा ने नए सिरे से जांच का अनुरोध किया, जिसमें दावा किया गया कि उनके तीसरे बच्चे की जन्म तिथि फरवरी 2019 थी, लेकिन अपने दावे का समर्थन करने के लिए वैध दस्तावेज पेश करने में विफल रहीं. एक हफ्ते की नोटिस अवधि पूरी होने के बाद, डीएम हरिद्वार ने अपने दावों को साबित करने में विफल रहने का हवाला देते हुए उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 के तहत उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया.
जानकारी के मुताबिक, रेशमा ने इस मामले में हरिद्वार सांसद के जरिए दोबारा जांच की अपील की थी, लेकिन जिला कार्यक्रम अधिकारी से मामले की जांच कराई गई. दोबारा जांच में भी सामने आया कि रेशमा तीन बच्चों की मां है.
जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल के मुताबिक, रेशमा के दस्तावेजों की जांच में तीसरे बच्चे के बारे में जानकारी आई और जो भी तथ्य दिए गए थे, वे गलत थे और नियमों के खिलाफ पाए गए. इसके बाद उन्हें ग्राम प्रधान के पद से हटाने की कार्रवाई की गई.