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India Daily

 सुहागरात देखने के लिए छज्जे पर छुपकर बैठ गया दूल्हे का भाई, फिर जो हुआ...खुद ही देख लीजिए

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह वीडियो पति-पत्नी की सुहागरात का है जिसे कथित तौर पर उनकी बिना सहमति के रिकॉर्ड किया गया. इस वायरल वीडियो ने इंसानों की गोपनीयता और उनके निजी जीवन में ताक-झांक के मुद्दों पर प्रकाश डाला है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
grooms brother sat hidden on balcony to watch his first night

लोगों के सिर पर सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करने का बुखार इस कदर हावी है कि लोग किसी इंसान के निजी पलों को भी रिकॉर्ड करने और उन्हें वायरल करने से नहीं चूक रहे हैं. सोशल मीडिया पर हाल ही में ऐसा ही एक वीडियो वायरल हुआ है जिसने इंसानों की निजता, सहमति और वैधता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

यह वीडियो सुहागरात का बताया जा रहा है जिसे दूल्हे की पत्नी ने कथित तौर पर खुद ही रिकॉर्ड किया. वीडियो को अपने निजी इस्तेमाल के लिए रिकॉर्ड किया गया था. हालांकि जब यह वीडियो रिकॉर्ड किया जा रहा था तभी सुहागरात वाले कमरे के छज्जे पर दूल्हे का भाई बैठा हुआ दिखाई दिया. दूल्हे का भाई चुपचाप छज्जे के ऊपर जाकर बैठ गया था और वह अपने भाई और उसकी पत्नी को सुहागरात मनाते हुए देखना चाहता था लेकिन दोनों पति-पत्नी ने समय रहते उसे देख लिया. अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस घटना ने न केवल परिवार के बीच तनाव पैदा किया, बल्कि समाज में गोपनीयता के उल्लंघन पर बहस को भी हवा दी.

 

कानूनी परिणाम
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि किसी की निजी जिंदगी में अनधिकृत घुसपैठ गोपनीयता का उल्लंघन है और इसके गंभीर कानूनी परिणाम हो सकते हैं. भारतीय दंड संहिता की धारा 354C के तहत, बिना सहमति के किसी महिला के निजी क्षणों को देखना या रिकॉर्ड करना 'वॉयरिज्म' माना जाता है. पहली बार अपराध करने वालों को 1 से 3 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जबकि बार-बार अपराध करने पर सजा और सख्त होती है. 

इसके अलावा, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66E में बिना सहमति के किसी व्यक्ति की निजी तस्वीरें कैप्चर करने, प्रकाशित करने या प्रसारित करने की सजा का उल्लेख है. इसमें 3 साल तक की जेल और/या जुर्माना शामिल है.

सामाजिक चिंताएं
इस घटना ने सोशल मीडिया पर निजी पलों को साझा करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर सवाल उठाए हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यादें संजोना आम बात है, लेकिन ऐसी सामग्री को सार्वजनिक करना अनपेक्षित परिणामों को जन्म दे सकता है. यह मामला निजी सीमाओं का सम्मान करने और डिजिटल युग में नैतिकता बनाए रखने की जरूरत को रेखांकित करता है. यह घटना हमें याद दिलाती है कि गोपनीयता का सम्मान और कानूनी मानदंडों का पालन कितना जरूरी है. जैसे-जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म हमारी जिंदगी को प्रभावित कर रहे हैं, वैसे-वैसे जागरूकता और जवाबदेही और भी महत्वपूर्ण हो जाती है.