भारत जैसे कई देशों में छोटी-मोटी चोट या बीमारियों के लिए लोग घरेलू उपाय करते हैं. जैसे तुलसी की पत्तियां खा लेना, गला खराब होने पर अदरक वाला काढ़ा पी लेना या फिर बुखार होने पर ठंडी पट्टियां रखना. अब सोचिए कि क्या जंगल में रहने वाले जानवर ऐसा कर सकते हैं? शायद पहली बार ऐसा देखा गया है कि एक जंगली जानवर ने औषधीय पौधे का इस्तेमाल करके खुद को ठीक कर लिया है. इस सब को डॉक्युमेंट करने के बाद एक्सपर्ट भी हैरान हैं कि आखिर जानवरों में इतनी समझ आई कैसे?
ऐसा कारनामा करने वाला जानवर कोई और नहीं बल्कि प्राइमेट चिंपैंजी है, जिसे इंसानों के पूर्वजों की सबसे निकट प्रजाति माना जाता है. हाल ही में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में लिखा गया है, 'शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि हम सिस्टमेटिक डॉक्युमेंटेशन कर रहे हैं कि एक जानवर ने बायोलॉजिकलरी एक्टिव पौधे से अपने घाव को ठीक कर लिया है.' मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट की इजाबेल लॉमेर और उनके सहयोगियों ने पाया कि एक नर बंदर राकुस ने लगभग आधे घंटे में अपने लिए दवा बनाई और कई बार उसका इस्तेमाल किया.
लगभग 30 साल के इस बंदर के चेहरे पर एक चोट लग गई थी. उसने एक पौधे से कुछ पत्तियां तोड़कर उनका जूस बनाया और अपनी उंगलियों से घाव पर कई बार लगाया. रिसर्चर्स ने पाया कि इस बंदर ने इस दवा का इस्तेमाल तब तक किया जब तक कि उसका घाव ठीक नहीं हो गया. लॉमेर और उनके सहयोगियों का मानना है कि इस बंदर ने इस दवा को कहीं और नहीं लगाया जिससे यह साफ होता है कि उसने दवा का इस्तेमाल जानबूझकर किया और यह सब अंजाने में नहीं किया जा रहा था.
इस रिसर्च के मुताबिक, 25 जून 2022 को चोटल लगने के बाद राकुस नाम के इस बंदर ने एंटी बैक्टीरियल गुणों के लिए मशहूर अकार कुनिंग (Fibraurea tinctoria) के पेड़ों पर चढ़कर उसकी पत्तियां तोड़ीं. इसके बाद उसने इसी से दवा बनाकर अपने घाव पर कई दिनों तक लगाई. इस दौरान वह दिन के ज्यादातर समय आराम करता था ताकि जल्दी से ठीक हो सके.