जब बच्चा अपनी मां के पेट में पल रहा होता है तो उस भ्रूण के लिए प्रेगनेंसी से लेकर डिलीवरी तक का समय काफी कठिन होता है. तभी तो डॉक्टरों की खास देखभाल के साथ उनकी डाइट का पूरा ख्याल रखने को कहते हैं. ताकि डिलीवरी के समय मां और बच्चा दोनों तंदुरुस्त रहे लेकिन प्रेगनेंसी के डाइट के मामले में चीन से कई ऐसे मिथक सामने आ रहे हैं. जो किसी भी इंसान का दिमाग घुमा देगा.चीनी संस्कृति में गर्भाधान से लेकर जन्म तक, गर्भवती महिला की केयर करने के कुछ बेहद अजीबोगरीब नुस्खे बताए गए हैं.दरअसल ये नुस्खे चीन के एक प्राचीन साहित्य ताइचांशु ने इसका जिक्र किया है.
इस किताब के अनुसार, गर्भावस्था में चौथे महीने भ्रूण को पानी दिया जाता है और सबसे पहले खून बनना शुरू होता है. इस अवस्था में चावल, गेहूं और कीचड़ में रहने वाली ईल सबसे अच्छे खाद्य पदार्थ होते हैं उनमें पाए जाने वाले पोषक तत्व खून की सफाई और आंखों में चमक पैदा करती है. एक शोधकर्ता जेन्डर ली ने अपनी स्टडी 'Childbirth in Early Imperial China' (2005) में चीन में प्रचलित ऐसे मिथकों का जिक्र किया है. जिन महिलाओं के गर्भ में भ्रूण पल रहा होता है, उन्हें बायमुगौ यानी सफेद बालों वाला कुत्ता का सिर उबालकर खाना चाहिए. ऐसे करने से उनका बच्चा ज्यादा सुंदर होगा और वो अच्छी तरह से विकसित हो पाएगा. मौजूद समय का कोई भी डिलीवरी डॉक्टर का एक्सपर्ट गर्भवती महिलाओं को सफेद बालों वाले कुत्ते का सिर पकाकर खाने की सलाह नहीं देगा. गर्भावस्था और प्रसव से जुड़े और कई अंधविश्वास है जो चीन की परंपरा में सदियों से चली आ रही है.
क्विनी त्से ने 1908 द चाइना मेडिकल जर्नल के एक अंक में लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था, मैटरनिटी प्रोसेस के साथ कई अंधविश्वास और भ्रांतियां जुड़ी है और ये पुरानी देसी दवाइयों की मूर्खतापूर्ण कल्पनाओं से ज्यादा कुछ भी नहीं है. इसमें एक अंधविश्वास यह है कि गर्भवती महिलाओं को शाम के खाने में चावल के छोटे कटोरे का उपयोग करना चाहिए. इससे पैदा होने वाले बच्चे का सिर छोटा होगा. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि दही के साथ सूखी बीन खाने से गर्भ में पल रहे भ्रूण की झिल्लियां अधिक मोटी नहीं होती है.