'हर जीव की जान प्यारी होती है', दिल्ली की कोर्ट ने कुत्ते पर तेजाब फेंकने वाले को सुनाई 1 साल की सजा
Delhi News: दिल्ली की एक कोर्ट ने कुत्ते पर तेजाब फेंकने वाले शख्स को एक साल की जेल की सज़ा सुनाई है. कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि हर जीव को उसकी जान प्यारी होती है. मामला फरवरी 2020 का है. पहाड़गंज की रहने वाली ओनवती यादव ने इस संबंध में मामला दर्ज कराया था. आरोप था कि उन्होंने शख्स को कुत्ते पर तेजाब फेंकते हुए देखा था.
Delhi News: दिल्ली की एक कोर्ट ने कुत्ते पर तेजाब फेंकने के मामले में आरोपी को दोषी पाया. कोर्ट ने दोषी को सजा सुनाते हुए कई विचारकों का हवाला दिया जिन्होंने पशुओं के प्रति क्रूरता के बारे में बात की है. कोर्ट ने कुत्ते पर तेजाब फेंकने के लिए दोषी को एक साल के कारावास की सजा सुनाई और कहा कि एक मूक प्राणी के लिए जीवन उतना ही प्रिय है जितना किसी भी इंसान के लिए.
फरवरी 2020 में पहाड़गंज की रहने वाली ओनवती यादव ने मामला दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि उन्होंने उस आरोपी को अपने कुत्ते की आंख, चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर तेजाब फेंकते देखा था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब वह कुत्ते को नहला रही थी, तो दोषी ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी.
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ऋचा शर्मा की अदालत ने कहा कि कुत्ते पर कोई जलने वाला पदार्थ फेंकना, जिसके कारण उसकी एक आंख चली गई, गंभीर और संगीन है. ऐसे व्यक्ति को कम सजा देकर छोड़ देना और दोषी को कोई भी नरमी देना समाज में एक प्रतिकूल संदेश देगा.
जज ने कहा- जो जानवरों के साथ क्रूरता करता है...
जज शर्मा ने जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कांट के हवाले से कहा, "जो जानवरों के साथ क्रूरता करता है, वह मनुष्यों के साथ अपने व्यवहार में कठोर हो जाता है. हम जानवरों के साथ मनुष्य के व्यवहार से उसके दिल का अंदाजा लगा सकते हैं. जज शर्मा ने अपने आदेश में महात्मा गांधी को कोट करते हुए कहा कि मेरे हिसाब से, एक मेमने का जीवन किसी इंसान के जीवन से कम कीमती नहीं है. मैं मानव शरीर की खातिर मेमने का जीवन लेने के लिए तैयार नहीं हूं. मेरा मानना है कि एक प्राणी जितना असहाय होता है, उतना ही वह मनुष्य की क्रूरता से मनुष्य द्वारा संरक्षण पाने का हकदार होता है.
हालांकि, दोषी को सजा और दोषसिद्धि के खिलाफ अपील दायर करने के लिए एक महीने की जमानत दे दी गई है. मार्च में, कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 429 (मवेशियों को मारना या अपंग करना आदि) और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 (1) (पशुओं के साथ क्रूरता करना) के तहत अपराध के लिए व्यक्ति को दोषी ठहराया था.