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ब्राह्मण जीन... मार्केटिंग कंपनी की CEO की सोशल मीडिया पोस्ट पर विवाद, यूजर्स बोले- जातिवाद अभी भी मौजूद

बेंगलुरु की एक कंपनी के सीईओ को अपनी सोशल मीडिया पोस्ट के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है. उनके सोशल मीडिया पोस्ट को अब तक 2 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है. उनके पोस्ट पर यूजर्स ने अलग-अलग तरह के कमेंट्स किए हैं. एक यूजर ने उनके पोस्ट को जातिवात से जोड़ते हुए कमेंट किया.

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Edited By: India Daily Live
Anuradha Tiwari
Courtesy: social media

बेंगलुरु की एक कंपनी की सीईओ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर किया, जिस पर विवाद हो गया. कंटेंट मार्केटिंग कंपनी 'जस्ट बर्स्ट आउट' की संस्थापक और सीईओ अनुराधा तिवारी ने अपनी मांसपेशियों (Muscles) को फ्लेक्स करते हुए एक फोटो शेयर की.
पोस्ट के कैप्शन में उन्होंने 'ब्राह्मण जीन 💪' लिखा, जिसने इंटरनेट पर विवाद खड़ा कर दिया. उनके पोस्ट को अब तक 2 मिलियन से अधिक बार देखा जा चुका है.

अनुराधा तिवारी की पोस्ट की आलोचना करते हुए एक यूजर ने लिखा कि अपनी शर्तों पर काम करने और जीवन जीने की हमारी क्षमता के लिए हम किसके आभारी हैं? डॉक्टर अंबेडकर (संविधान और हिंदू कोड बिल दोनों के लिए) और दशकों तक कई अन्य प्रगतिशील आवाज़ों के लिए. एक अन्य यूजर ने लिखा कि लड़कियों के शॉर्ट्स पहनने और तस्वीर पोस्ट करने के बारे में 'मनुस्मृति' क्या कहती है? ब्राह्मण ने इसका पालन क्यों नहीं किया?

सुप्रीम कोर्ट के वकील शशांक रत्नू ने भी अनुराधा तिवारी की पोस्ट पर कमेंट किया. उन्होंने लिखा कि यही कारण है कि जातिवाद अभी भी मौजूद है. फिट रहना अच्छा है, लेकिन इसे श्रेष्ठ या विशिष्ट जीन के लिए जिम्मेदार ठहराना, एक परिवार एक भारत बनाने का तरीका नहीं है.

आरक्षण पर अपनी राय के बारे में मुखर रही हैं अनुराधा तिवारी

अनुराधा तिवारी अपने एक्स पोस्ट में आरक्षण पर अपनी राय के बारे में मुखर रही हैं. ऐसी ही एक पोस्ट में, उन्होंने लिखा था कि सामान्य वर्ग को विश्वास होना चाहिए कि ये देश उतना ही उनका है जितना कि आरक्षित वर्ग का है. वर्तमान राजनीति केवल आरक्षित वर्ग पर केंद्रित है. ये मेहनतकश जीसी के लिए बेहद अनुचित है. एक राष्ट्र अपने मेहनती लोगों को धोखा देकर कभी भी आगे नहीं बढ़ सकता है.

अगस्त 2022 की एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि मैं एक सामान्य श्रेणी की छात्रा हूं. मेरे पूर्वजों ने मुझे 0.00 एकड़ जमीन दी है. मैं एक किराए के मकान में रहती हूं. मुझे 95% अंक प्राप्त करने के बावजूद एंट्री नहीं मिली, लेकिन मेरे साथ पढ़ने वाले को, जिसने 60% अंक प्राप्त किए और जो एक संपन्न परिवार से है, उसे एडमिशन मिल गया और आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे आरक्षण से समस्या क्यों है?

उन्होंने अपनी लेटेस्ट पोस्ट का जवाब भी दिया, जिसमें लिखा था कि जैसा कि अपेक्षित था, 'ब्राह्मण' शब्द का मात्र उल्लेख हम सब कुछ अपने दम पर कमाते हैं और हमें अपने वंश पर गर्व करने का पूरा अधिकार है. इसलिए, इससे निपटो.