हाय रे बिहार: टूटे पैर का प्लास्टर करवाने गया था मरीज, डॉक्टर ने पैर में बांध दिया गत्ता

बिहार के अस्पताल, किस हाल में हैं ये बात किसी से छिपी नहीं है. जहां मरीजों की भरमार है, वहां डॉक्टर गायब, जहां दोनों हैं, वहां संसाधनों की किल्लत. अब मुजफ्फरपुर के एक अस्पताल का हाल देखकर आप सिर पीट लेंगे. एक मरीज अपने टूटे पैर का प्लास्टर कराने गया था उसके साथ ऐसा कांड हुआ, जिसके बाद वह बिहार में इलाज कराने से पहले सौ बार सोचेगा.

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बिहार के मुजफ्फरपुर सरकारी अस्पताल में इलाज के अलावा सबकुछ हो रहा है. एक शख्स अपने टूटे पैर का प्लास्टर कराने गया तो वहां के डॉक्टरों ने उसके साथ जो सुलूक किया है, उसे वह जीवनभर नहीं भूल पाएगा. सरकारी अस्पताल में मरीज इलाज कराने गया था. उसका पैर टूटा था, प्लास्टर की जरूरत थी. डॉक्टर ने प्लास्टर की जगह उसके पैर में गत्ता बांध दिया. मरीज की तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायल हो रहा है.

किसी मरीज के पैर को जोड़ने के लिए गत्ता लगाने की ये तकनीक, सिर्फ बिहार में ही है. वहां से बाहर नहीं निकली नहीं है. मरीज का नाम मुकेश कुमार बताया जा रहा है. मुकेश कुमार मुजफ्फरपुर के मैनपुर इलाके में 7 जून को एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती हुआ था. एक बाइक एक्सीडेंट में उसका पैर टूट गया था. डॉक्टर ने कार्डबोर्ड लिया और उसकी टूटी हड्डी, कार्डबोर्ड से जोड़ दी. 

बड़े अस्पताल के डॉक्टर भी नहीं हटा सके गत्ता!

उसे बाद में श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज (SKMCH) ट्रांसफर कर दिया. वहां के डॉक्टर भी गजब निकले. उन्होंने 7 जून से 11 जून तक, मरीज का वैसे ही इलाज किया. पैर से गत्ते का प्लास्टर भी नहीं हटाया. जब स्थानीय मीडिया ने इस पर सवाल उठाए तो को SKMCH के अधिकारियों की नींद टूटी और उन्होंने मरीज का सही इलाज किया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक शख्स ने बताया कि उसका बाइक से एक्सीडेंट हो गया था. अस्पताल वालों ने पैर को गत्ते के सपोर्ट से बांध दिया, बड़े अस्पताल में भी ऐसा ही हुआ. 
 

अस्पताल की सफाई क्या है?

जब यही सवाल अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट डॉ. विभा से किया गया तो उन्होंने कहा, 'पेशेंट मैनपुर से शनिवार को आया था. हमें पता चला कि प्लास्टर नहीं लगा है. जांच किया तो पता चला कि ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट ने जवाब दिया कि पूरी तरह जांच के बाद ही यह किया गया है. गत्ता क्यों लगाया गया, इसे लेकर हम सवाल-जवाब कर रहे हैं.'