उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के धाता क्षेत्र के अजरौली पल्लावां गांव में एक अनोखी खुशी का माहौल था, जब आल्हा बाबा की पालतू कुतिया ने तीन प्यारे पिल्लों को जन्म दिया. इस खुशी को आल्हा बाबा ने पूरे गांव के साथ मनाने का फैसला किया और न केवल परिवार के सदस्य, बल्कि गांव के लोग भी इस खास मौके पर शामिल हुए. यह घटना एक अद्वितीय समारोह में तब्दील हो गई, जिसमें न केवल धार्मिक रीति-रिवाज थे, बल्कि मस्ती और धूमधाम का भी पूरा इंतजाम किया गया था.
पालतू कुतिया की छठी का आयोजन
उत्तर प्रदेश : जिला फतेहपुर में आल्हा बाबा के पालतू डॉगी ने तीन पिल्लों को जन्म दिया तो उन्होंने खुशी में पूरे गांव को दावत दी। खाना–पीना हुआ, नाच–गाना हुआ। इस दावत में करीब 3 लाख रुपए खर्च हुए।@bnetshukla pic.twitter.com/w6EuF5P3O9
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) January 6, 2025
डीजे और घोड़े का नृत्य
समारोह में सभी को मनोरंजन देने के लिए डीजे पर डांस का आयोजन किया गया. गांव वाले गीतों की धुनों पर थिरकते हुए मस्ती कर रहे थे. वहीं, एक और अनोखा आकर्षण था, घोड़े का नृत्य. खासतौर पर घोड़े की नृत्य प्रस्तुति ने समारोह में एक और रंग जमा दिया. लोगों ने घोड़े के डांस का लुत्फ उठाया और इस मौके को हमेशा के लिए यादगार बना दिया.
सोहर गाकर शुभकामनाएं दी
आल्हा बाबा ने पपी और उसके बच्चों की छठी को एक पारंपरिक समारोह के रूप में मनाया, जैसे कि किसी परिवार में नवजात बच्चे की छठी होती है. पपी और उसके बच्चों के पंजों पर गांव की महिलाओं ने आलता (लाल रंग) लगाया और सोहर गाकर शुभकामनाएं दी. इस रिवाज ने समारोह को और भी खास बना दिया. साथ ही, आसपास के गांवों से भी लोग पपी और उसके बच्चों के साथ सेल्फी लेने के लिए पहुंचे, जो इस अनोखी खुशी का हिस्सा बनना चाहते थे.
पूरे गांव में रही धूमधाम
आल्हा बाबा ने अपने घर और पूरे गली को रंग-बिरंगे झालरों और लाइटों से सजाया था, जिससे वातावरण और भी भव्य हो गया था. यह दिखाता है कि उन्होंने इस अवसर को बड़े सम्मान और धूमधाम के साथ मनाया. आल्हा बाबा का कहना है कि जैसे किसी परिवार में बच्चे का जन्म होता है और उसे लेकर छठी मनाई जाती है, वैसे ही उन्होंने अपनी पालतू कुतिया के बच्चों के लिए यह समारोह किया.
आल्हा बाबा की जिंदगी
आल्हा बाबा के बारे में यह भी कहा जाता है कि वह दूध बेचकर और कृषि के माध्यम से अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं. उनका यह कदम उनके प्रेम और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है, जो उन्होंने अपनी पालतू कुतिया और उसके बच्चों के प्रति महसूस किया.