रिटर्निंग सोल्जर इफ़ेक्ट; जंग से लौटे सैनिकों के घर 'बेटों' का ही जन्म, वैज्ञानिकों का अजीब दावा
वैज्ञानिकों की मानें तो युद्धों के बाद घर लौटने वाले सैनिकों के हार्मोनल स्तर में परिवर्तन हो सकता है.युद्ध का तनाव और घर वापसी की राहत उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकती है. वहीं वैज्ञानिकों ने पाया है कि रिटर्निंग सोल्जर इफ़ेक्ट की वजह से सैनिकों के घर सैनिकों के घर अधिक लड़के पैदा हो रहे हैं.
सोशल मीडिया पर एक खबर तेजी से वायरल हो रही है. जिसमें कहा गया है कि युद्ध से लौट रहे सेनाओं के घर में अधिक लड़के पैदा होने लगे हैं. दरअसल पिछले कई सालों से जुटाए गए अलग-अलग डेटा के माध्यम से वैज्ञानिकों ने पाया कि रिटर्निंग सोल्जर इफ़ेक्ट की वजह से सैनिकों के घर अधिक संख्या में लड़के ही पैदा होते हैं. यह पहली बार 1954 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में पैदा हुए गोरे बच्चों के संबंध में देखा गया था. तब से युद्ध का अनुभव करने वाले देशों ने उसी प्रवृत्ति का पालन किया गया है.
हालांकि फिलहाल कोई भी इसे वैश्किव रूप से स्वीकृत स्पष्टीकरण नहीं दे पाया है कि ऐसा क्यों होता है या कैसे होता है. क्योंकि हर साल 100 लड़कियों पर लगभग 104 लड़के पैदा होते हैं. एक रिपोर्ट बताती है कि युद्ध से लौट रहे सैनिकों ने 1920 में रिकार्ड 1.1 मिलियन बच्चों को जन्म दिया, जो इस सदी में सबसे ज्यादा है. यह केवल ब्रिटेन या वेल्स के लिए नहीं बल्कि फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया , बेल्जियम, डेनमार्क और नीदरलैंड जैसे देशों के लिए भी सही है. जहां विश्व युद्धों के बाद के साल में नवजात लड़के लड़कियों के अनुपात में ज्यादा पैदा हुए हैं.
तनाव और हार्मोनल प्रभाव
वैज्ञानिकों का मानना है कि युद्धों के बाद घर लौटने वाले सैनिकों के हार्मोनल स्तर में परिवर्तन हो सकता है. युद्ध का तनाव और घर वापसी की राहत उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकती है, जिससे लड़कों के जन्म की संभावना बढ़ती है.
शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर का बढ़ना
युद्ध का तनाव और घर वापसी की राहत उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ा सकती है, जिससे लड़कों के जन्म की संभावना बढ़ती है. यह प्रभाव सैनिकों की पत्नियों या महिलाओं के गर्भधारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.