21वीं सदी में भारत में ही सैकड़ों प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं. एक फुट से लेकर कई फुट लंबे सांप पाए जाते हैं. कुछ सांप जहरीले होते हैं, कुछ बिना जहर वाले तो कुछ आकार में बहुत बड़े होते हैं. अब कुछ ऐसे सबूत मिले हैं जो इशारा करते हैं कि कई हजार साल पहले संभवत: 140 फुट लंबे सांप भी पाए जाते हैं. कुछ समय पहले ही आई एक स्टडी में इसको लेकर दावे किए गए हैं. इसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं जो एक बड़े से पत्थर पर छपे सांप की आकृति दिखा रही हैं. हालांकि, जिस पत्थर पर यह आकृति पाई गई है उसे 2 हजार साल पुराना बताया जा रहा है.
पुरातत्व टीम ने वेनेजुएला और कोलंबिया के बॉर्डर पर पुरातन काल में होने वाली पत्थर की नक्काशी को पूरी तरीके से मैप किया है. इसमें दुनिया की सबसे बड़ी स्मारकीय नक्काशी भी शामिल है. यह स्थान मुख्य रूप से ऊपरी और मध्य ओरिनोको नदी के किनारे स्थित है. यह नदी दक्षिण अमेरिका के इसी क्षेत्र से होकर गुजरती है. 4 जून को मीडिया में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं का मानना है कि यह स्थान जानबूझकर रखा गया था और इसे दूर से देखने के लिए बनाया गया था क्योंकि पत्थर की नक्काशी एक महत्वपूर्ण व्यापार और यात्रा मार्ग के रास्ते पर थी. जिसे एट्यूर्स रैपिड्स के रूप में जाना जाता है.
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, इंग्लैंड में बोर्नमाउथ विश्वविद्यालय में पुरातात्विक और पैलियोएन वायरनमेंटल मॉडलिंग में एक वरिष्ठ लेक्चरर और प्रमुख लेखक फिलिप रीरिस ने बताया, 'एक व्याख्या यह है कि इसमें क्षेत्रीयता का कुछ पहलू था. यह उनके क्षेत्र को चिह्नित करने और यह कहने का एक तरीका था कि यह हमारा डोमेन है.' शोधकर्ताओं को इस बात का पता नहीं है कि इन विशाल रॉक आर्ट को किसने बनाया है. जिनमें सबसे बड़ा रॉक आर्ट 138 फीट (42 मीटर) लंबा है. हालांकि, वे जानते हैं कि कुछ विषय वस्तु, जिसमें बोआ कंस्ट्रिक्टर और एनाकोंडा जैसे सांपों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है.
फिलिप रिसिक ने बताया, 'एनाकोंडा और बोआ इस क्षेत्र में रहने वाले कुछ स्वदेशी समूहों के निर्माता देवता से जुड़े थे.' उनके अनुसार, 'सांपों को जानलेवा होने के लिए भी जाना जाता है. शायद यह उनके लिए बाहरी लोगों को चेतावनी देने का एक तरीका था कि वे सांप के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं.'
प्रमुख लेखक रीरिस ने कहा, 'पहाड़ियों पर मौजूद एक गुफा से बरामद एक छोटा कलश एक समान सांप से सजाया गया है.' उन्होंने कहा, 'यह संभव है कि किसी ने दीवारों में से एक पर जो देखा था, उसकी नकल की हो लेकिन मेरी आंतरिक भावना यह है कि जिसने भी कलश बनाया है, वह रॉक आर्ट बनाने वाले का समकालीन है. अगर ऐसा है तो मिट्टी के बर्तनों के आधार पर, रॉक आर्ट लगभग 2,000 साल पुराना होगा.' अध्ययन के अनुसार, अधिकांश साइटें पहले से ही शोधकर्ताओं को पता थीं लेकिन उन्होंने मानचित्रण परियोजना के दौरान कई नए स्थानों की खोज की है.