इस साल जापान के टोक्यो में होने वाले ओलंपिक के लिए भारत ने अलग रणनीति बनाई है. संसाधनों की कमी या उचित ट्रेनिंग न मिल पाने जैसी शिकायतें न आएं इसलिए भारत ने पिछले 4 सालों से लगातार मेहनत की है. 2016 में सार्वजनिक तौर पर रो पड़ीं दुती चंद के आंसुओं का असर यह हुआ है कि खिलाड़ियों के लिए इस बार न सिर्फ जमकर पैसे खर्च किए गए हैं बल्कि एक खास रणनीति के तहत उनकी तैयारी करवाई गई है.
मिशन ओलंपिक सेल ने पिछले तीन साल में लगातार बैठकें की हैं और खेल और खिलाड़ियों के हिसाब से प्लान तैयार किया. हर खिलाड़ी को ट्रेनिंग के लिए सही माहौल मिले इसके लिए उसे हर वह चीज मुहैया कराई गई है जो ट्रेनिंग के लिए जरूरी है. उदाहरण के लिए टेबल टेनिस के लिए चीन से टेबल मगंवाई है, घुड़सवारी करने वाले अनुश अग्रवाल के घोड़े के लिए विशेष चारा मंगाया गया है. इसके अलावा, खिलाड़ियों की डाइट और टेक्निकल चीजों का भी बहुत ध्यान रखा गया है.
हालांकि, अमेरिका और चीन जैसे देश यह पहले से करते आ रहे हैं. भारत पहली बार इस तरह से तैयारी करने में जुटा है. बताया गया है इन तीन सालों में ओलंपिक के खिलाड़ियों के पीछे 72 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.