आचार्य मनीष ने बताया कि आजकल आईवीएफ से होने वाले बच्चों के दिल में छेद, कमजोरी, मेंटल इलनेस आदि देखी जाती है.इस कारण अगर किसी महिला को बेबी कंसीव करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे पहले आयुर्वेदिक तरीके से इलाज कराना चाहिए.
उन्होंने बताया कि अमेरिका की एक रिपोर्ट में बताया गया है हार्ट और कैंसर से होने वाली मौतों के बाद सबसे ज्यादा मौतें उन लोगों की हो रही हैं, जो छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज में भी दवाइयों का सहारा ले रहे थे. उन्होंने कहा कि किसी बीमारी को ठीक करने के लिए आप आयुर्वेद का सहारा ले सकते हैं.
आचार्य मनीष ने कहा कि आयुर्वेद में पंचकर्म में कई क्रियाएं जैसे सर्वांगधारा, अभ्यंगम, लेपम, स्वेदन, स्नेहन, नस्यम, धूपन आदि हैं. इनसे शरीर की दिक्कतों को दूर किया जा सकता है. वहीं, उदर वस्ति जैसी टेक्निक से से पेट के अंदर की गर्मी को शांत करके बच्चा कंसीव कराने में मदद करती हैं.आयुर्वेद में गर्भ धारण के लिए देह को शुद्ध करना काफी आवश्यक है. इसके लिए आप वज्रासन में बैठें. सूर्य नमस्कार करें. यह सभी व्यायाम आपको बेबी कंसीव करने में हो रही परेशानियों को दूर करते हैं.