देश की राजधानी दिल्ली में पानी की घोर संकट है. पानी की एक-एत बूंद मोती हो गई है. कई इलाकों में तो ऐसी हालत हो गई है कि घरों में पीने के लिए पानी नहीं है. हर दिन सुबह से ही शहर में पानी के टैंकर दौड़ने लगते है. जिस पानी और बिजली के दम पर केजरीवाल दिल्ली की सरकार चलाने का दंभ भरते हैं अब वही पानी केजरीवाल सरकार का 'पानी' उतार रहा है.
दिल्ली प्यास से तड़प रही है पानी के लिए हाहाकार मचा है..लेकिन सरकार के पास कोई जवाब नहीं है. सियासत हो रही है. कभी हरियाणा की बात होती है तो कभी हिमाचल की लेकिन नतीजा कुछ नही निकल रहा। गर्मी से हाल बेहाल हैं. पानी की किल्लत से लोग परेशान हैं लेकिन दिल्ली की सरकार है जो इधर उधर की बात कर रही है लेकिन इस परेशानी का हल क्या है उसपर काम नहीं कर पा रही है.
क्या दिल्ली सरकार को पता नहीं था कि गर्मी में हालात बहुत खराब हो जाएंगे तो पहले से पानी की आपूर्ति का प्लान क्यों नहीं बनाया गया. अगले साल दिल्ली में विधानसभा के चुनाव होने हैं तो क्या पानी बड़ा मुद्दा नहीं बनेगा जो कांग्रेस लोकसभा चुनाव में आप के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चली पानी के मुद्दे पर उसने भी दूरी बना ली कांग्रेसियों ने मटके फोड़कर प्रोटेस्ट किए और हालात के लिए केजरीवाल सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया.