उत्तर प्रदेश की बलिया सीट पर इस बार पूर्व प्रधानमंत्री नीरज शेखर बीजेपी के उम्मीदवार हैं. उनकी उम्मीदवारी तो नई नहीं है लेकिन पार्टी उनके लिए नई जरूर है. दो बार समाजवादी पार्टी से इसी सीट से सांसद रहे नीरज शेखर ने अब पाला बदल लिया है. अपने पिता की सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे नीरज शेखर पूरी जान लगा रहे हैं कि विरासत बचा सकें. समाजवादी पार्टी छोड़ने और अखिलेश यादव से अलग होने की भी उनकी अलग वजहे हैं.
बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी में जन्मे नीरज शेखर ग्रजुएटेड हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट नीरज शेखर ने अपने पिता के निधन के बाद साल 2007 में पहली बार उपचुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे. साल 2009 में हुए लोकसभा आम चुनाव में शेखर एक बार फिर समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और चुनाव जीतकर दूसरी बार सांसद बने. 2014 के चुनाव में भी शेखर ने समाजवादी पार्टी से ही चुनाव लड़ा था लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी के प्रत्याशी भरत सिंह से हार का मुंह देखना पड़ा था.
2014 में हार के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया. 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने नीरज शेखर पर भरोसा नहीं जताया और उनका टिकट काट दिया. जिससे शेखर ने नाराज होकर राज्यसभा से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली. उसके बाद बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया और तब से लेकर अभी तक नीरज शेखर बीजेपी से राज्यसभा के सांसद हैं. इस बार बीजेपी ने उन पर दांव लगाया है और बलिया लोकसभा से प्रत्याशी घोषित किया है.