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शिवपुराण से जानिए कैसा होगा कलयुग का स्वरूप, देवकीनंदन ने सुनाई ज्ञान यज्ञ की कथा

1 अगस्त को देवकी नंदन ठाकुर ने शिव पुराण कथा की शुरुआत रुद्राष्टक से की. उन्होंने बताया कि ये संसार हम सभी मनुष्यों को मुक्ति के लिए मिला है. यह तभी संभव है जब भोलेनाथ की हम पर कृपा है. शिव पुराण में लिखा है. जो सदैव भगवान विश्वनाथ का ध्यान करते हैं, जिनकी वाणी उनके गुणों का गायन करती है और जिनके दोनों कान उनके गुणों का श्रवण करते हैं. इस संसार में उन्हीं का जन्म लेना सार्थक है. अपने कानों से भगवान की कथा सुनें और मुख से उनका गुणगान करें. शिव महापुराण की कथा के दूसरे दिन उन्होंने बताया कि जो आदि, अंत और मध्य है, जिनकी तुलना नहीं की जा सकती है. ऐसे परमपिता शिव को हम प्रणाम करते हैं. 

शिव पुराण में कहा गया है कि एक बहुत ही पुण्य स्थान है, जिसका नाम प्रयागराज है. यहां गंगा और यमुना का संगम होता है. यह ब्रह्मलोक का द्वार है. यहां ब्रह्माजी ने सनातन धर्म का प्रथम यज्ञ किया. इस कारण इसको प्रयाग कहा गया. 

प्रयागराज में एक बार सोनकादिक ऋषि एकत्रित हुए और काफी समय तक चलने वाला ज्ञानयज्ञ उन्होंने शुरू किया. इस यज्ञ में शास्त्रों का संवाद किया गया. उन्होंने कहा कि कथा कहने वाला महत्वपूर्ण नहीं है, कथा किसकी हो रही है ये महत्वपूर्ण है. यह कथा इस सृष्टि रचियता की है.

ज्ञान यज्ञ की बात सूत जी महाराज को पता चली तो वे प्रयागराज चले गए. सूत जी महाराज का वहां पर ऋषियों ने स्वागत किया. ऋषियों ने कहा कि हे सर्वज्ञ आपको यहां देखकर हमारा मन हर्षित हो गया है. हे महाराज तीनों लोकों के आप ज्ञाता है. हमारे मन में एक दुख है कि कलयुग आ रहा है. यहां पर सभी के लिए लिखा हुआ है. जो भी कलयुग के बारे में जो भी लिखा है,वह सब कुछ अभी से सत्य हो रहा हैं. 

कलयुग में होगा ऐसा

कलयुग के लोग कैसे होंगे. घोर कलयुग आने पर मनुष्य कर्म से विमुख होंगे. दुराचार में फसेंगे. सभी सत्य से विमुख हो जाएंगे, हर व्यक्ति झूठ बोलेंगे.कलयुग में लोभी, कामी व्यक्ति होगा.  

हृदय से जुड़ें परमात्मा से

देवकी नंदन महाराज ने लोगों को बताया कि परमात्मा के लिए हृदय से जुड़ना पड़ता है. इस दौरान उन्होंने 'रचा है सृष्टि जिस प्रभु ने, वहीं ये सृष्टि चला रहे हैं... ' गीत भी गाया. सृष्टि का रचियता कौन है यह ज्ञान से ही पता चलेगा. चार वेद, 6 शास्त्र और 18 पुराण व गीता, रामायण पढ़ना चाहिए.